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कहानी कुछ इस तरह शुरू होती है, घर में शादी का माहौल था। संजय के बड़े भाई की शादी डॉली से होने जा रही थी। डॉली एकदम जवान, खूबसूरत, दूध जैसी सफेद और सेक्सी फिगर वाली लड़की थी। उसकी उम्र केवल 22 साल थी और जिससे उसकी शादी होने जा रही थी, वह उससे अधिक उम्र का था।
यानी संजय के बड़े भाई की उम्र 36 वर्ष के आसपास थी। उसकी शक्ल-सूरत भी डॉली के मुकाबले बहुत ही साधारण थी। डॉली और उसकी जोड़ी कहीं से भी मेल नहीं खाती थी, लेकिन कमाऊ लड़का था, तो घर वालों ने कोई परवाह नहीं की और मजबूरन डॉली ने भी हालात से समझौता कर अपने मन को मना लिया था। वहीं दूसरी ओर दूल्हे का छोटा भाई यानी संजय 24 साल का हैंडसवम नौजवान था।
लड़की देखने दिखाने से लेकर शादी तक संजय कई बार, अपनी होने वाली भाभी यानी डॉली से मिल चुका था और खूब बातें भी कर चुका था। देवर भाभी का रिश्ता होने के कारण दोनों के बीच हंसी-मजाक चलता रहता था। यहां तक कि दोनों फोन पर भी बातें करते रहते थे। दोनों एक-दूसरे के काफी करीब आ गये थे।
डॉली जब भी संजय को देखती, तो यही सोचती कि काश उसकी शादी भी संजय की तरह ही किसी जवान और हैंडसम लड़के से होती, तो कितना अच्छा होता।
वहीं दूसरी ओर संजय भी अपने बड़े भैया की किस्मत पर जलता रहता था कि उनके हाथ गजब का माल लगने वाला था। क्या फिगर है डॉली का। छाती पर उगे हुए टाइट संतरे, पीछे से बाहर को निकली हुई उसकी दोनों सुंदर मछलियां और एकदम पतली चिकनी कमर। कसम से कभी-कभी संजय का ईमान सख्त होकर, उसकी पैंट के अंदर यहां-वहां डोलने लगता था।
खैर ऐसे ही दिन गजरते रहे और एक दिन वो भी आया जब डॉली दुल्हन बनकर पिया के घर आ गई थी। शादी के श्रृंगार में डॉली गजब की सुंदर लग रही थी। बार-बार संजय, डॉली को देखकर मन ही मन आंहे भर रहा था और यही सोच रहा था कि, ‘‘आज रात तो भैया की किस्मत चमकने वाली है। कितना मजा आयेगा भैया को जब वह डॉली को सर से पांव तक बेलिबास देखेंगे और उसे प्यार करेंगे।’’
लेकिन दोस्तों एक मजे की बात यह हो गई थी, शादी-ब्याह की लंबी-चौड़ी रस्में निभाते-निभाते संजय के बड़े भैया की तबियत थोड़ी ढीली हो गई थी और उसका पेट भी खराब हो गया था।
उस दिन यही फैसला हुआ कि आज की रात दूल्हा-दुल्हन को आराम दिया जाये..और सुहागरात का प्रोग्राम अगले दिन के लिए टल गया। लेकिन संजय को कहां आराम था, वो तो बस डॉली के कसे हुए जिस्म के बारे में ही सोच रहा था..
रात होने तक घर के लगभग सभी मेहमान जा चुके थे, बस घर के ही खास-खास लोग रह गये थे। अच्छा खासा बड़ा मकान था, सो सबके लिए अलग-अलग सोने की व्यवस्था अच्छे से हो गई थी। दूल्हा-दुल्हन का कमरा और संजय का कमरा ऊपर टॉप पर आमने सामने था। मगर एक कमरे की आवाज दूसरे कमरे तक आसानी से नहीं सुनाई देती थी। दुल्हन को उसके कमरे में अकेले ही सुलाया गया, ताकि उसे कोई डिर्स्टब ना करे और आराम कर सके। संजय का बड़ा भाई, संजय के साथ ही सो गया था। ऐसा नहीं था कि वो अपने कमरे में डॉली के साथ नहीं सो सकता था, बल्कि डॉली ने भी उसे कहा था कि वो यहीं सो जाये, लेकिन संजय का बड़ा भाई बड़ा सुलझा हुआ नेक इंसान था। उसने कहा, ‘‘नहीं डॉली मेरी तबियत भी ठीक नहीं है, बार-बार उठकर जाना पड़ रहा है, तुम्हें दिक्कत होगी। तुम चैन से सोकर आराम करो। बाकी तो हर रात अपनी है।’’
डॉली भी चुप हो गई और मुस्करा कर पति को जाते हुए देखने लगी। ना जाने क्यों डॉली को भी कमरे में नींद नहीं आ रही थी, वो जाग रही थी शायद संजय के बारे में ही सोच रही थी और दूसरी ओर संजय भी इसी तांक में था कि आज कैसे भैया की जगह वो सुहागरात मनाये। इसी चक्कर में आधी रात हो चुकी थी, लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। लेकिन जैसे कुदरत भी उस पर मेहरबान हो गई थी। दरअसल पेट खराब होने के कारण संजय के भैया को बार-बार ट्वायलेट जाना पड़ रहा था और उसने सोचा कि इसी चक्कर में
शायद संजय को नींद नहीं आ रही है। उसे क्या पता था कि संजय के दिमाग में और पैंट के अंदर क्या चल रहा था..
खैर यही सब सोचकर वह छत पर सोने चला गया, जहां एक सेप्रेट ट्वायलेट बना हुआ था। वहां किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। बस बिल्ली को दूध पीने का मौका मिल गया.. भैया के छत पर जाते ही, संजय का दिल जोरों से धड़कने लगा। वो बस यही सोच रहा था कि आखिर किस बहाने से भाभी के कमरे में जाये। अभी संजय ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसके मोबाइल पर डॉली की कॉल आ रही थी.. ये देखकर संजय की आंखों में चमक आ गई।
इस समय भाभी की कॉल देखकर संजय को थोड़ा अजीब तो लगा, लेकिन उसने बिना टाइम गवाये फौरन फोन उठा लिया..
‘‘क्या बात है भाभी।’’ मजाक करता हुआ बोला संजय, ‘‘सैंया को याद करने की बजाये, सैंया के भैया को कैसे याद कर लिया।’’
‘‘कुछ नहीं देवर जी, दरअसल वो नींद नहीं आ रही थी।’’
‘‘तो भैया को भेज दूं।’’
‘‘दरअसल नींद नहीं आ रही थी और यहां कमरे में व्हाई-फाई लगा देखा, तो सोचा कि तुमसे पासवर्ड पूछ लेती हूं.. कुछ देर मोबाइल ही चला लेती हूं।’’
‘‘माफ करना भाभी शादी-ब्याह के चक्कर में इस बार नेट का बिल नहीं भरा था, तो फिलहाल बंद है।’’
‘‘ओहो।’’ थकी आवाज में बोली डॉली, ‘‘अब क्या करूं?’’
‘‘मैं आ जाऊं आपका दिल बहलाने।’’
‘‘नहीं कोई जरूरत नहीं है।’’
डॉली ने इतना ही कहा, कि तभी उसने महसूस किया कि उसके दरवाजे पर कोई धीरे से दस्तक दे रहा है। वो समझ गई कि ये संजय ही है। डॉली बेड से उठी और उसने दरवाजा खोल दिया, ‘‘तुम सच में आ गये।’’
‘‘हां, तुम्हें अकेला कैसे छोड़ सकता हूं।’’
‘‘ज्यादा हीरो बनने की कोशिश मत करो, इतनी रात को तुम्हें यहां देखकर तुम्हारे भैया को अच्छा नहीं लगेगा। उन्हें गलत समझ लिया तो..”
‘‘अरे तो हम कौन-सा कोई गलत काम कर हैं।’’ कहकर संजय ने डॉली को साइड किया और अंदर आकर उसके बेड पर लेट गया.. फिर बोला, ‘‘वैसे भी भैया ऊपर छत पर सो रहे हैं.. पेट सही नहीं है ना उनका।’’
‘‘तुम्हारे भैया का पेट बिगड़ा, तो तुम्हारी नीयत बिगड़ गई।’’
‘‘हां बिगड़ गई।’’ कहकर पास में ही खड़ी डॉली का हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया संजय ने।
लहराती हुई डॉली, संजय के उपर जा गिरी। जब संजय ने अपनी छाती पर कसे हुए लेकिन बहुत ही सॉफ्ट संतरों को महसूस किया, तो उसका तोता उसे पैंट के अंदर चोंच मारने लगा।
‘‘संजय तो तुम लिमिट क्रॉस कर रहे हो।’’ बाहरी मन से विरोध करती हुई बोली डॉली, ‘‘तुम्हें पता है न मैं तुम्हारे भैया की अमानत हूं और किसी और की अमानत पर लार नहीं टपकाते।’’
‘‘मैं तो कुछ और टपकाने की सोच रहा हूं, जो सबसे आखिरी में टपकेगा, तुम्हारी अंधरी गुफा में।’’
‘‘धत्त।’’ बुरी तरह शरमा गई डॉली, संजय की बात का मतलब समझते हुए।
तभी डॉली की इस अदा पर मरते हुए उसने डॉली को कसकर बांहों में भींच लिया और एक जोरदार किस्स उसके नरम गुलाबी होठों पर कर दिया…
डॉली के लिए ये एमदम सरप्राइज जैसा था, उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी संजय इतनी जल्दी इतना आगे बढ़ जायेगा..
लेकिन जो भी था, डॉली के जिस्म में भी सरसराहट हो गई थी, एक अनजानी हलचल उसकी नीचे की कुंवारी दुनियां में मच गई थी। फिर भी उसने अपने मन के भाव को छुपाते हुए कहा, ‘‘देवर हो, इसलिए एक किस्स के लिए माफ करती हूं,, चलो अब निकलो यहां से।’’
संजय समझ गया कि थोड़ी-सी मेहनत और करेगा, तो डॉली की कुंवारी जायदाद उसके नाम हो ही जायेगी आज। संजय बोला, ‘‘पहले मुझे भी किसी को बाहर निकालना है।’’
‘‘किसे?’’ हैरानी से बोली डॉली, ‘‘यहां तो तुम्हारे और मेरे सिवा कोई नहीं है।’’ फिर मुस्करा कर बोली, ‘‘क्या मुझे मेरे ही कमरे से निकालोगे।’’
बेशर्मों की तरह संजय ने अपनी पैंट की जीप नीचे की और तपाक से अपने मोटे लंबे अजगर को बाहर निकाल लिया। फिर डॉली ओर देखकर बोला, ‘‘ इसे बाहर निकालना था, सो निकाल दिया।’’
‘‘हाय रब्बा!’’ मुंह पर हाथ रखकर चौंक पड़ी डॉली, ‘‘तुम तो बड़े ही बेशर्म हो।’’ फिर जैसे डॉली को कुछ याद आया, ‘‘तुम भी न मरवाओगे मुझे पहले ही दिन। दरवाजा तो खुला है।’’
इतना सुनते ही संजय फौरन उठा और दरवाजा अंदर से बंद करके डॉली के पास आ गया।
‘‘क्योंकि ये भी मुझे बड़ा परेशान करता है। जब देखो तुम्हें देखकर खड़ा होकर सलाम करने लगता है।’’
संजय की इस हरकत पर डॉली को इतनी हंसी आई कि उसे अपने मुंह पर हाथ रखकर हंसना पड़ा, ताकि बाहर आवाज ना चली जाये।
जाने अचानक क्या हुआ कि डॉली ने भी अपनी शरम और नखरे को छोड़कर संजय के सख्त अजगर को हाथों में दबोच लिया.. शायद कब से दिल के किसी कोने में दबी संजय के लिए प्यार की चिंगारी भड़क उठी थी। फिर संजय के होंठों को चूमते हुए बोली, ‘‘आई लव यू संजय।’’
‘‘आई लव यू टू भाभी।’’
‘‘भाभी नहीं।’’ उसके अजगर को सहलाते हुए बोली, ‘‘डॉली कहो मुझे।’’
‘‘हाय मेरी जान डॉली।’’ कहकर जोरों से ब्लाउज के ऊपर से ही संजय ने डॉली के गोल संतरों को दबा दिया।
‘‘ऐसे नहीं संजय।’’ डॉली भी खुलती जा रही थी, उसने अपने ब्लाज के सभी हुक खोल डाले, ‘‘अंदर से संतरों को छूकर देखो, तुम्हारे लिए एकदम फ्रेश हैं।’’
ब्रा में झांकते हुए संतरों को देखकर संजय के मुंह में पानी आने लगा। उसने एक ही झटके में ब्लाउज और ब्रा को डॉली के बदन से अलग कर डाला। अपने सामाने डॉली के गोरे, सख्त संतरों को देखकर संजय दीवानों की तरह उन्हें हाथों से बुरी तरह मसलने लगा। होंठों से संतरों का रस पीने लगा। डॉली भी आंखें बंद किये पूरे मजे ले रही थी। संजय उसके संतरों को चूस रहा था और डॉली उसके बालों में अंगुलियां फंसाकर मदहोश हुए जा रही थी। ‘‘ओह.. संजय. ..स..आह… बड़ा अच्छा लग रहा है.. थोड़ा काटो ना मेरे संतरों को।’’
लेकिन जोश में संजय ने डॉली के संतरों तेजी से दांत गड़ा दिये। इस पर दबी हुई आवाज में कराहते हुए बोली डॉली, ‘‘इतनी जोर से थोड़ी कहा था, मैंने दर्द हो रहा है।’’
इसपर संजय ने अपनी जीभ से उसके संतरों को चाटना शुरू कर दिया। फिर बोला, ‘‘ये लो मैंने इस पर अपने प्यार का मलहम लगा दिया है।’’ संजय की इस हरकत पर मुस्करा कर बोली डॉली, ‘‘कसम से बड़े शैतान हो तुम।’’
‘‘तो फिर और शैतानी करूं?’’ कहकर संजय ने डॉली के लंहगे को ऊपर जांघों तक सरका दिया। डॉली की गोरी गदरायी जांघों पर हाथ रखते हुए वहां सहलाने लगा। डॉली के पैर कांपने लगे। उसे बहुत अच्छा लग रहा था। फिर जैसे ही संजय ने डॉली की जांघों के बीच उसकी गुलाबी पंखुड़ियों पर हाथ रखा, तो डॉली कसमसा कर गई। बेड पर चित्त लेटी हुई डॉली ने संजय को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठों को कसकर चूसे जा रही थी। संजय भी डॉली की गरम सांसों मजा लिये जा रहा था और साथ उसके दोनों संतरों को भी जोर-जोर से दबाये जा रहा था।
डॉली इतना ज्यादा गरम हो गई कि उसने खुद ही अपना लंहगा उतार कर साइड कर दिया और फिर अंदर पहना आखिरी वस्त्र भी निकाल फेंका। लगे हाथों उसने संजय को भी पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था। दोनों एक-दूसरे के निर्वस्त्र जिस्म को देखकर लार टपकाये जा रहे थे। पता नहीं क्या हो गया था, दोनों को ही ना कोई डर था ना कोई होश था। वो तो अपनी दुनियां में मस्त हो गये थे।
संजय के सामने सर से पांव तक बिल्कुल निर्वस्त्र लेटी हुई थी डॉली। उसके जिस्म में एक भी दाग नहीं था, मक्खन की तरह कोमल और दूध की तरह गोरी थी डॉली। उसकी नीचे दुनियां तो इतनी गुलाबी थी, जैसे गुलाब की कोमल पखुंड़ियां हों। एकटक उसके जिस्म को निहारे जा रहा था संजय। इस पर डॉली पैर से उसके अजगर को जोर से हिलाते हुए कहा, ‘‘क्या देखकर की काम चलाओगे।’’
‘‘तुम बहुत सुंदर हो डॉली, बाहर से भी अंदर से भी, ऊपर से भी और नीचे से भी।’’
इस पर थोड़ा शरमाते हुए बोली, ‘‘इतनी सुंदर हूं, तो फिर इतनी देर क्यों लगा रहे हो। अपनी टांगों को फैलाती हुई बोली, ‘‘आओ न।’’
जिस डॉली के सपने देखा करता था, संजय आज वह खुद उसके सामने निर्वस्त्र लेटी उसे खुल्ला ऑफर दे रही थी। संजय को अपनी किस्मत पर नाज हो रहा था..
‘‘अरे क्या हुआ?’’ फिर बोली डॉली, ‘‘ज्यादा मत सोचो, प्यार करती हूं तुमसे पगले।’’
तभी संजय बोला, ‘‘पहले तुम घोड़ी बनो, मैं पीछे आकर तुम्हारी दुनियां की सैर करूंगा।’’
बिना कोइ नखरे किए डॉली, घोड़ी की पोजिशन में आ गई। फिर संजय ने अपनी मिसाइल पर थूक लगाया और डॉली की चिकनी दुनियां पर छोड़ दिया। ऐसा धमाका डॉली की अनछुई दुनियां पर हुआ कि बेचारी बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोक पायी।
उसने खुद ही एक हाथ से अपनी चीख को रोका हुआ था। संजय एक के बाद एक मिसाइल छोड़े जा रहा था। डॉली ने बहुत कहा कि एक बार रूक जाये या धीरे मिसाइल छोड़े, लेकिन जवानी के जोश में संजय ने मिसाइलों की झड़ी लगा दी। बेचारी डॉली मुंह पर हाथ रखें उम.उम.उम… करे जा रही थी।
पीछे संजय बीच-बीच में डॉली के लटके हुए संतरों को भी दबोच लेता था। फिर संजय को जब लगा कि उसकी मिसाइल का तेल खत्म होने वाला है, तब जाकर वह रूका और बेड पर लेट गया। हांफती हुई बोली डॉली, ‘‘कितने निर्दयी हो तुम..कितना कहा छोड़ दो, रूक जाओ… धीरे करो।’’
‘‘क्या करूं मेरी जान तुम चीज ही ऐसी हो, कि कंट्रोल नहीं कर पाया।’’
चाहे कुछ भी था, मगर संजय के जोश की दीवानी जरूर हो गई थी डॉली। तभी उसने पहले ही हमले में उसकी खोली को सूजा कर रख दिया था, जहां से थोड़ा खून भी आ गया था। यानी सिल बंद पैकेट खुल गया था। संजय बोला, ‘‘अब मैं तुम्हें जन्नत की सैर कराता हूं,।’’ इतना कहकर संजय उसकी गुलाबी पखुंड़ियों के अंगुलियों से सहलाने लगा। वाकई डॉली को बहुत मजा आने लगा। उसकी गुलाबी पखुंड़ियों गीली होने लगीं.. तो संजय समझ गया कि अब रास्ता साफ है।..
जबरदस्ता जोश और टाइमिंग के लिए जोश किंग : JoshKing
अब डॉली को ज्यादा तकलीफ नहीं होगी.. फिर उसने इस बार जब हमला बोला, तो हल्का दर्द तो डॉली को हुआ मगर वो बर्दाश्त कर गई। और थोड़ी देर बाद तो उसकी सारी तकलीफ जाती रही। वो और संजय खुलकर सुहागरात मनाने लगे।
संजय ने ऐसे आसनों में डॉली को बजाया कि बेचारी चारों खाने चित्त हो गई। लेकिन इस बीच वो दो बार संतुष्ट हुई थी। लगभग दो घंटे तक देवर भाभी के सुहागरात का प्रोग्राम चला था। डॉली तो संजय के जोश और सेक्स टाइमिंग की इतनी दीवानी हो गई थी, कि जब-तब मौका देखकर वह संजय से अपनी प्यार शहनाई बजवाती रहती थी।
लेकिन जब एक दिन दोनों का भांडा फूटा, तो मौका देखकर दोनों घर से ही भाग गये और उनके घर-परिवार वालों ने भी उन दोनों से अपना नाता तोड़ लिया था।
तो दोस्तों कहानी का यहीं अंत होता है। अगर कहानी आपको सच में पसंद आई हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा खुश और रंगीन मिजाज दोस्तों तक जरूर पहुंचायें। धन्यवाद दोस्तों।