खैर कहानी में आगे बढ़ते हैं।
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धीरे-धीरे पति पर काम का बोझ बड़ने लगा और अब हम महीने में मुश्किल से 4 या 5 बार ही ठोकम-ठाकी का खेल खेल पाते हैं।
मेरा तो बहुत मन करता है, लेकिन पति के पास समय नहीं होता है। रात को घर पहुंचते हैं, तो थक जाते हैं, फिर जब मैं खुद पहल करती हूं।
उनके डंडे को मस्त तरीके से सहलाती हूं। मुँह से पुचकराती हूं, तब कहीं जाकर वो मस्त मामला जमा पाते हैं।
खैर अब रातें ऐसे ही गुजर रही थीं। लेकिन दोस्तों फिर हम पति-पत्नी के बीच कुछ ऐसा हुआ कि अब मैंने खुद भी पति को अपनी नीचे की सैर कराना पूरी तरह बंद कर दिया।
पति का मन होता, तो मैं साफ मना कर देती। हमारे बीच खूब लड़ाई होती। लेकिन मैं टस से मस नहीं होती थी।
दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यूँ हुआ? मैं तो बहुत गरम औरत थी। रोज नीचे तैखाने में कैदी डाला करती थी।
फिर अब ऐसा क्या हुआ? दरअसल अब मैंने अपने पड़ोस में रहने वाले 20 साल के गबरू जवान लड़के से जिस्मानी संबंध बना लिए थे।
वो मस्त बॉडी वाला और अच्छी-खासी पर्सनेलिटी वाला लड़का था। उसका नाम सोनू था।
वो मुझे हमेशा से भाभी कहा करता था और चोर नजरों से मेरे दुधिया बदन पर लार टपकाता रहता था।
मैंने खुद उसकी चोरी कई बार पकड़ी थी। उसकी आंखों में मैंने देखा कि वो मेरी खोलकर, अंदर तक घुसना चाहता है।
मस्त तरीके से पेलना चाहता था। हमेशा उसकी नजर मेरे मोटे गोल-गोल कबूतरा पर ही सटी रहती थी।
मेरे ब्लाउज में झांकते मेरे दुधिया उभारों को वो मन ही मन खूब प्यार करता था।
एक दिन वो मेरे घर मेरे पति की बाइक मांगने आया था। उसे शायद कहीं जाना था और उसकी बाइक खराब हो गई थी।
उस समय मैं नहा कर बाथरूम से बाहर निकली ही थी। मैं उस समय केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी।
सोनू को सामने देखकर मुझे पता चला कि मैं शायद गलती से घर का दरवाजा बंद करना भूल गई थी।
तभी तो सोनू कमरे के अंदर था। वो मुझे बुरी नजरों से घूर रहा था। फिर जानबूझ नाटक करता हुआ बोला, माफ करना भाभी, मैं बाद में आता हूं।
अरे कहां चले सोनू बाबू। तुम कोई पराये थोड़े ही हो और फिर मैं कौन सा पूरी तरह बेलिबास हूं।
मैंने जानबूझ कर अपने ब्लाउज का हुक लगाते हुए कहा। फिर मैंने सोनू की वासना को उकसाने के लिए, जरा बताना ब्लाज फिटिंग का है कि नहीं।
पूरी तरह फिर और टाइट है ना। कहीं ढीला तो नहीं है।
मेरी बात सुनकर शायद सोनू गर्म होने लगा था। मैंने देखा कि पैन्ट के आगे का हिस्सा कुछ उठ गया है।
तभी मैंने नजदीक जाकर सोनू से कहा, “तुम चुप क्यों हो। जवाब क्यों नहीं देते। मैं तुम्हें सुंदर नहीं लगती हूं क्या?”
“नहीं-नहीं भाभी। आप तो बहुत सुंदर हो। इतनी सुंदर हो कि मन करता है..” फिर अचानक सोने चुप हो गया। जैसे उसकी चोरी पकड़ी जाती।
मैंने कहा “क्या मन करता है तुम्हारा?”
सोनू बताने लगा तो मैंने कहा, “जाओ पहले दरवाजे की कुन्डी लगाकर आओ और फिर प्रैक्टिल तरीके से बताओ। यानी सब कुछ सामने करके भी बताओ कि क्या मन करता है तुम्हारा।”
ये सुनकर सोनू तपाक से दौड़कर दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजे की कुन्डी ऊपर चढ़ाकर खुद मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने उसे रोका नहीं, बल्कि उसका पूरा साथ दिया। मैंने हंसकर कहा, “अच्छा तो ये मन करता है तुम्हारा।”
“हां भाभी”, उसने मेरे गोल संतरो को ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए कहा, “बहुत मन करता है। तुम्हें नहीं पता भाभी तुम्हारे नाम की जाने कितने बाद मैं बाथरूम में अपने हाथों से सफेद नदियाँ बहा चुका हूं।”
सोनू की बात सुनकर मैं इतना हंसी कि ध्यान नहीं रहा कि कब सोनू ने मुझे सिर लेकर पांव तक खाली कर दिया और खुद भी पूरी तरह तन से खाली था।
उसके बाद तो उसने मुझे भूखे जानवरों की तरह नोंच डाला। मुझे भी नुंचवाने में बड़ा मजा आया था।
मैंने उसे पूरी तरह खुश कर डाला। जैसा जैसा उसने कहा, मैंने सब किया। लेटे, बैठ के, खड़ी होकर, घोड़ी बनकर, उसके तोते को पुचकार कर सब तरीके से संतुष्ट किया।
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उसने भी मुझे खुश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मेरी एक-एक हड्डी को चटका कर रख दिया था।
दोस्तों ऐसा नहीं था कि मैं शादी के बाद फिर से बदचलन हो गई थी।
मैंने तो फैसला कर लिया था कि अब शादी के केवल पति की होकर रहूंगी।
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि मैंने पति को देना बंद कर दिया और बाहर मुंह मारने पर मजबूर हो गइ। दरअसल दोस्तों।
मुझे कुछ महीनों पहले कमजोरी, थकान, दर्द, सूजन, तनाव की समस्या शुरू हो गई थी। पीरियड्स भी आगे पीछे होने लगे थे।
ब्लीडिंग भी बहुत होती थी। उसके बाद समस्या यही नहीं रूकी। मुझे सफेद पानी की समस्या अलग से शुरू हो गई।
जिसके कारण मैं पति को दे नहीं पाती थी।
अब आप ही बताइए इतनी समस्याएं शरीर में लगी हों, तो भला कहां किसी औरत का मन करेगा कि पति का सख्त डंडा लेकर और दर्द झेले।
लेकिन पति को मेरी इन समस्याओं से कोई लेना देना नहीं था। मैंने उन्हें कई बार बताया भी था।
लेकिन उन्हें हर बार यही लगता था कि मैं उन्हें अपना जिस्म नहीं देने का बहाना बना रही हूं।
वो कहते, रहने दे तेरी नौटन्की। सब जानता हूं, तू देना नहीं चाहती है। तुझे बस पूरी तनखा पकड़ा दो, तेरी ख्वाहिशों को पूरी करते रहो बस।
लेकिन देने के नाम पर कभी ये हो रहा है, तो कभी वो हो रहा है। झूठ-मूठ के बहाने बनाने लगती हो।
इसलिए धीरे-धीरे मेरा मन पति की ओर से खट्टा होने लगा था। मैंने सोचा कैसा पति है, जिसे केवल मेर जिस्म से मतलब है।
मेरी भावनाओं की, मेरी हेल्थ कोई चिंता या परवाह नहीं है।
और इसीलिए एक दिन ऐसा भी आया कि मेरे पति ने मुझे पर हाथ छोड़ दिया और मैंने उनका तन से साथ छोड़ दिया।
यानी उन्हें अपनी देनी बंद कर दी। वहीं फिर सोनू से मेरी अच्छी पटने लगी। मैं उसे अपना हर दुख-सुख बताने लगी।
जब मैंने उसे अपनी समस्याओं के बारे में और पति से बनने के बारे में बताया, तो सोनू ने ही मेरी मदद की।
मेरी भावनाओं को समझा। उसने कहा, भाभी आजकल तो इंटरनेट का जमाना है, जहां सबकुछ मिलता है।
आपको भी आपकी समस्या का समाधान जरूर मिल जायेगा। फिर हम दोनों ने मेरे मोबाइल पर इंटरनेट खोला और समाधान ढूंढने लगे।
कुछ ही देर में हम दोनों की नजर एक वेबसाइट पर पड़ी जोकि ‘काहन आयुर्वेदा‘ (Kaahan Ayurveda) नाम से थी।
इस वेबसाइट के जरिए हमें वैनीटल (VANITAL) के बारे में पता चला। ये कैप्सूल, पाउडर और सीरप तीनों फॉम में मौजूद थी। मैंने सीरप ऑर्डर कर दिया।
आप यकीन नहीं मानेंगे इस आयुर्वेदिक वैनीटल सीरप को पीने से धीरे-धीरे मैं ठीक होने लगी।
मुझे कोई थकान, कमजोरी, पीरियड्स की गड़बड़ी नहीं होती थी।
यहां तक कि सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया की प्रॉब्लम में भी पूरी तरह आराम मिल गया था।
इसलिए मैं सोनू की तरह बहुत ज्यादा मरने लगी थी। क्योंकि उसने एक औरत के दर्द को पहचाना था और समाधान ढूंढने में मदद की थी।
इसलिए मैं एक बार धन्यवाद के रूप में सोनू का एहसान उतारना चाहती थी।
इसलिए मैंने उस दिन उसे पहली बार अपनी देकर, उसका एहसाना उतार दिया था।
लेकिन उसके बाद मुझे सोनू की आदत हो गई है। लेकिन मैं आपसे वादा करती हूं, अब मैं सोनू से क्या, किसी भी पराये पुरूष से कोई संबंध नहीं रखूंगी।
एक बार फिर से पति से बनाने की और निभाने की कोशिश करूंगी। और हां, जाते-जाते धन्यवादा वैनीटल!