नहाती हुई भाभी (Hindi Hot Story) | Anatarvasna kahani

0
65
Reshma Bhabhi Ki Mast Jawani - Mastram Ki Kahania
Reshma Bhabhi Ki Mast Jawani - Mastram Ki Kahania

“दोस्तों ये कहानी है बंटी की जिसकी उम्र अभी केवल 20 साल की थी। बंटी इतना ठरकी और हवस की गर्मी से भरा था कि उसकी जवानी उबाल मार रही थी। जवानी की जिस दहलीज पर उसने कदम रख लिया था, वहां पहुंच कर बस उसका मन करता कि बस एक बार किसी मस्त चिकनी जवानी का रस चखने को मिल जाये। कोई कमसिन कली उसके हाथ लग जाये, जिसका रस वो अपनी मोटी सख्त डंडी से निकाल कर चूसता रहे। मगर ऐसा हो ना सका था। क्योंकि बंटी इतना हैंडसम और मजेदार नैन-नक्श का नहीं था, कि उसकी कोई हिरोइन जैसी गर्लफ्रैंड होती। मगर वो इतना भी बुरा पर्सनेलिटी का नहीं था कि कोई लड़की उसे घास ना डाले। कुल मिलाकर साधारण पर्सनेलिटी का मालिक था बंटी। लेकिन उसकी हसरत अप्सरा की तरह दिखने वाली हसीना को पाने की थी।”

तो चलिए दोस्तों सुनते है इस गर्मा गरम कहानी को.. आखिर क्या हुआ बंटी के साथ.. क्या उसे कोई हसीना मिली?

आप यह एडल्ट स्टोरी MastRamKiKahani.com पर पढ़ रहे हैं..

बंटी 20 साल का मस्त और जबरदस्त ठरकी लौंडा था। उसकी जवानी अब सिर चढ़कर बोल रही थी। उसका मन और उसका नीचे का ल.. आप समझ ही गये होंगे दोस्तों मैं किसकी बात कर रहा हूं.. क्योंकि मुझे पता है जब आप ये कहानी सुन रहे हैं, तो मतलब भी खूब जानते होंगे। हां.. तो उसका नीचे का मस्त सामान भी किसी भी कमसिन जवानी को देखकर पैंट के अंदर ही हिल-डुलकर उसे अपने सुलगते अरमानों याद दिलाते रहते थे।

बंटी के घर के ठीक बगल में उनके पड़ोस में मियां बीवी रहते थे। उनकी अभी नई-नई शादी हुई थी। यानी मुश्किल से दो साल ही हुए थे। उनके अभी तक कोई संतान भी नहीं थी। पति का नाम था बृजेश और पत्नी का नाम था रेशमा। रेशमा को बंटी भाभी कहा करता था। रेशमा 24 साल की मस्त जिस्म वाली हसीना था। क्या फिगर था उसका। हाय.. कसम से.. ये भरे हुए टाइट गोल संतरे थे उसके। जो टीशर्ट या सूट के अंदर भी ऐसे लगते थे..

मानो अभी उछल हर हाथ में आ जायेंगे। पतनी सुराहीदार कमर.. पिछे से उठी हुई पिछवाड़़ी किसी घाटी से कम नहीं लगती थी। बंटी जब उसे देखता उसका पैंट का आगे वाला हिस्सा बड़ा हो जाता। उसका मन करता था कि भी रेशमा भाभी को कमरे में खींचकर उसकी मस्त सवारी कर डाले। ऐसे ऐसे आसनों में उसे प्यार करे.. कि रेशमा चीख्ती चिल्लाती रह जाये। लेकिर बंटी ना रूके। वो तो बस मस्त गाड़ी चलाता रहे।

एक दिन की बात है। शाम के 5 बजे का समय रहा होगा। उस दिन बंटी घर में अकेला था। उसके मम्मी-पापा किसी शादी के फंक्शन में गये हुए थे। बंटी इसलिए नहीं गया था.. क्योंकि उसके फाइनल पेपर चल रहे थे। जिसकी तैयारी उसे घर पर रहकर करनी थी। तभी अचानक घर की डोर बेल बजी। बंटी ने दरवाजा खोला तो सामने रेशमा भाभी थी। जो बहोत ही हॉट लग रही थी। खुल्ले मुंह से बंटी उसे बस देखता रह गया। गर्मी का समय था तो भाभी ने शॉर्ट निकर टाइप का कुछ पहना हुआ था और ऊपर से टाइट टीशर्ट डाली हुई थी। दरअसल दोस्तों आपको तो पता ही है। आज का जमाना फास्ट और काफी मॉर्डन हो गया है। इसलिए रेशमा थोड़ा एडवांस लड़की थी। वो खुल्ले विचारों की थी। उसने मुस्करा कर कहा, ‘‘बंटी क्या घूरत ही रहोगे, या अंदर आने को भी कहोगे।’’

‘‘हां-हां भाभी आओ ना।’’ एकाएक झेंप कर बोला बंटी, ‘‘माफ करना वो मैं पढ़ाई कर रहा था ना, तो वो ही सब दिमाग में चल रहा था।’’ फिर पूछा बंटी ने, ‘‘बताईए कैसे आना हुआ?’’

इस पर रेशमा बोली ‘‘बंटी. अंकल आंटी यानी तुम्हारे मम्मी-पापा कहां है?’’

‘‘वो तो शादी में गये हुए हैं।’’ बंटी ने बताया, ‘‘रात तक ही आयेंगे।’’

‘‘ओह!’’ रेशमा ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘‘ठीक है फिर रहने दो, मैं चलती हूं।’’

तभी अचानक बंटी को ना जाने क्या हुआ, रेशमा जैसे ही पलट कर जाने लगी। बंटी ने तपाक से रेशमा की कोमल कलाई को थाम लिया और बोला, ‘‘अरे कहां चली भाभी। बताओ ना क्या बात है। क्या काम था बताओ।’’

Hot Desi Story - Mastram Ki Kahani
Hot Desi Story – Mastram Ki Kahani

बंटी को अपनी कलाई थामे देखकर घूर कर देखा रेशमा ने। जिसे देखकर बंटी झेंप गया, ‘‘अरे माफ करना भाभी। आप यूं ही जाने लगीं ना तो मुझे अच्छा नहीं लगा। भला आपको कोई काम हो और सिर्फ मम्मी पापा के रहने वो काम ना बने। ऐसा नहीं होना चाहिए ना। बस इसलिए मैंने तुम्हें रोकने के लिए..’’

‘‘अरे बस भई बस।’’ हंसते हुए बोली रेशमा, ‘‘इतनी सफाइ्र्र देने की कोई जरूरत नहीं है। मुझे बुरा नहीं लगा।’’

‘‘सच भाभी।’’ कहकर फिर अचानक बंटी ने रेशमा का हाथ पकड़ लिया।

ये देखकर अब तो रेशमा पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगी। रेशमा सुंदर चेहरे पर गजब की हंसी देखकर बंटी भी साथ में खूब हंसने लगा।

जब हंसी का सिलसिला थमा, तो बंटी ने कहा, ‘‘बताओ ना भाभी किसलिए आई थीं आप?’’

‘‘दरअसल बंटी बात ये है कि तुम्हें तो पता ही है कि कल से घरों में पानी नहीं आ रहा है।’’

‘‘हां भाभी।’’ बंटी ने कहा, ‘‘हमारे भी घर में कल से पानी नहीं आया है।’’

‘‘हां तो बंटी बस बात यही है।’’ रेशमा ने बताना शुरू किया, ‘‘हमारे घर में भी पानी नहीं आ रहा है। और बाथरूम की मरम्मत भी चल रही है आजकल हमारे घर में।’’

‘‘हां हां.. तो भाभी कहो ना क्या चाहती हो?’’

‘‘दरअसल बंटी, आज शाम को तुम्हारे भैय्या यानी मेरे पति के बॉस के घर में पार्टी है। जहां मुझे भी साथ में चलना है। तुम्हारे भैय्या ने कहा है कि शाम को टाइम पर तैयार रहना। ऑफिस से आते ही चलेंगे। लेकिन घर में पानी नहीं है.. पानी ना होने की वजह से आज लेबर लोग भी नहीं आये हैं। इसलिए मैं सोच रही थी आज आंटी के घर में ही नहा लेती हूं। लेकिन आंटी अंकल तो हैं नहीं.. इसलिए..’’

कैसी भी सेक्स समस्या के लिए – SexSamasya.com

‘‘तो क्या हुआ भाभी मैं कोई पराया थोड़े ही हूं।’’ रेशमा की बात को बीच में ही काटकर बोला बंटी, ‘‘आप हमारा बाथरूम यूज कर सकती हैं। जितनी देर चाहो मल-मल कर नहाओ।’’

इसपर फिर रेशमा हंसकर बोली, ‘‘वाह मल-मल कर नहाओ।’’ अचानक रेशमा ने बंटी का हाथ पकड़ लिया और बोली, ‘‘तुम्हें पता है कि मैं मल-मल कर नहाती हूं।’’

‘‘अरे मेरा मतलब वो..’’

‘‘कोई नहीं, मैं तो मजाक कर रही हूं।’’ रेशमा ने बंटी का हाथ छोड़ते हुए बोला, ‘‘मैं जानती हूं तुम्हारा कोई ऐसा-वैसा इरादा नहीं था।’’

इस पर मन ही मन बड़ाबड़ाता हुआ बोला बंटी, ‘‘हाय मेरी जानेबहार भाभी। तुम्हें क्या पता है मेरा कैसा-कैसा इरादा है।’’

‘‘क्या बोले?’’ जैसे रेशमा ने सुना लिया हो, ‘‘कैसा इरादा।’’

‘‘अरे नहीं भाभी।’’ जैसे चोरी पकड़ी गई हो ऐसे बोला बंटी, ‘‘मैं तो कह रहा था कि इरादा-विरादा छोड़ो आप नहा लो।’’

‘‘ठीक है बंटी।’’ रेशमा ने कहा, ‘‘मैं तो अभी बस पूछने आई थी। चलो मैं कपड़े लेकर आती हूं।’’

रेशमा के जाते ही। बंटी का दिल जोरों की धड़कने लगा। वो मन ही मन कोरी कल्पना करने लगा।

‘‘हाय! भाभी जब बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतारेगी। फिर अपने चिकने मक्खन जैसे बदन पर हाथ मलेगी। साबुन मलेगी। कितना खुशनसीब होगा वो साबुन जो भाभी के बदन को यहां-वहां छूयेगा।’’ सोचते हुए बंटी का नीचे का सामान टाइट होने लगा, ‘‘हाय जब भाभी गोल-गोल कबूतरों की लाल-लाल चोंचों पर साबुन जायेगा। कभी जांघों के बीच छिपी गुलाबी नगरी में घूमेगा, तो क्या आलम होगा।’’ आंहे भरता हुआ सोचने लगा बंटी, ‘‘हाय क्या किस्मत होगी साबुन की। काश मैं भी कुछ पल के लिए साबुन होता। तो कसम से भाभी के बदन का टच पाकर मस्त हो जाता।’’

बंटी इतनी गहराई से सोच रहा था कि उसका नीचे का तोता हल्का-हल्का पानी छोड़ने लगा। अभी वो सोच ही रहा था कि रेशमा अपने कपड़े लेकर पहुँच गई। फिर जैसे ही रेशमा अपने कपड़े लेकर बाथरूमें घुसने लगी। उसके हाथ से अचानक कपड़े गिर गये। कपड़ों के बीच में रेशमा ने अपनी पैन्टी और ब्रॉ छिपाये हुए थे। जैसे कि अक्सर महिलाएं करती हैं। जैसे ही बंटी की नजर पैन्टी और ब्रा पर पड़ी तो उसका नीचे का शैतान पूरी तरह जाग उठा। रेशमा भी शरमाने लगी कि बंटी ने उसके अंदर के वस्त्र देख लिए। वो चुपचाप नजरे चुराए बाथरूम में घुस गई। इसी चक्कर में रेशमा बाथरूम की अंदर से कुंडी लगाना भूल गई।

रेशमा गाना गुनगुनाते हुए गाने लगी, ‘‘कुंडी ना खड़काओ राजा, सीधे अंदर आओ राजा।’’

बंटी बाहर ये गाना सुन रहा था। उसका पूरा बदन गरम हो चुका था। मन कर रहा था कि अभी बाथरूम में घुसकर रेशमा भाभी सारी कुंडी खड़का डाले। धीरे-धीरे बंटी बाथरूम के दरवाजे के पास पहुंच गया। उसने देख लिया कि कुंडी लगाना भाभी भूल गई है। हल्का सा दरवाजा खुला हुआ था। फिर जैसे ही बंटी ने अंदर का नजारा देखा। वो सन्न रह गया। रेशमा सिर से लेकर पांव तक बिना वस्त्रों दूध की दुकान लग रही थी। एकदम गोरा चिकना बदन। जैसे कि छुओ तो मैली हो जाये। क्या गोरे-गोरे गोल मटोल कबूतर थे। कबूतरों की लाल-लाल चोंच तो कयामत ही ढा रहे थे। पीछे भाभी गोरी उठी हुई पिछवाड़ी पर एकदम मस्त होकर मचल रहे थे। पानी की बूंदे जब-जब रेशमा के गोल संतरों के बीच से होते हुए। फिर नीचे की ओर सरकते हुए उसकी आगे की गुलाबी दुनियां से गुजरते हुए जमीन पर गिर रहे थे। तो बाहर ये देखता हुआ बंटी का नीचे का सामान रह-रहकर आंदोलन छेड़ रहा था। बंटी से रहा नहीं गया और उसने अपना तोता बाहर निकाल कर हाथ में लिया।

Hindi Garam Kahani- Mastram Ki Kahani
Hindi Garam Kahani- Mastram Ki Kahani

फिर वो तोते की गर्दन को धीरे-धीरे सहलाते हुए मजे लेने लगा। जब जितनी देर नहाती रही। बंटी उतनी देर अपने तोते को हाथ में लेकर खेलता रहा। वो काफी देर तक अपने हाथों की गर्मी से अपने तोते को प्यार के दाने चुगाता रहा। फिर अचानक बंटी के तोते ने प्यार की उल्टी कर डाली। यानी बंटी का मामला पुचक से बाहर निकल निपट गया था। जिसका साबूत उसने बाथरूम के दरवाजे पर छोड़ दिया था। अब तक रेशमा भी नहा चुकी थी। तभी रेशमा को याद आया कि वो तौलिया अपने घर में ही भूल आई है।

वो दरवाजे के पास बंटी को तौलिए के लिए आवाज लगाने आई तो देखा कि वो दरवाजा अंदर से बंद करना भूल गई थी। उसे बड़ी हैरानी हुई और शर्म भी आई कि ये क्या हुआ। खैर उसने आवाज लगाई, ‘‘बंटी जरा अपने घर का ही तौलिया दे दो। मैं अपना तौलिया लाना भूल गई। मैं घर में धोकर बाद में तौलिया लौटा दूंगी।’’

बंटी ने बाहर से ही रेशमा को तौलिया देकर कहा, ‘‘नहीं भाभी, तौलिया धोकर लौटाने की जरूरत नहीं है। ये तो तौलिए की किस्मत है जो आपके काम आ सका।’’

इस पर रेशमा अंदर से ही मुस्करा कर बोली, ‘‘बड़े नटखट हो गये हो। बातें भी बनाने लगे हो। बहुत खूब।’’

फिर रेशमा जैसे ही बाहर निकली तो। रेशमा हल्का भीगा हुआ बदन और बिखरे सुनहरे बाल देखकर बंटी मंत्र-मुग्ध सा हो गया।

‘‘अरे क्या हुआ बंटी।’’ रेशमा, बंटी की हालत देखकर मुस्करा कर बोली, ‘‘पहले किसी औरत को नहीं देखा क्या?’’

‘नहीं मेरी जान ऐसा नहीं है।’’ बंटी फिर धीरे से बड़ाबड़ाता हुआ बोला, ‘‘औरत तो देखी है, लेकिन पहले किसी औरत को नहाते हुए नहीं देखा था।’’

‘‘क्या बोले?’’ रेशमा, बंटी के शैतानी को भांपते हुए बोली, ‘‘ये तो क्या कह जाते हो अचानक से, समझ ही नहीं आता।’’

फिर कुछ देर दोनों की बातें चली और रेशमा वहां से चली गई। रेशमा के जाते ही बंटी ने फटा-फट दरवाजे पर चिपकी अपनी सफेद गर्मी को साफ किया। उसने शुक्र मनाया कि भाभी की नजर नहीं पड़ी।

दोस्तों रेशमा तो चली गई थी। लेकिन जाते-जाते साथ में बंटी का दिल में ऐसा तूफान मचा गई थी कि बंटी संभल नहीं पा रहा था। उसे रह-रहकर रेशमा का बेलिबास कटीला गुलाबी बदन याद आ रहा था। तभी बंटी ने महसूस किया कि उसका नीचे का तोता फिर से जाग गया है। अब तो बंटी ने घर की कुंडी लगाई और खुल्लेआम बिंदास होकर रेशमा के नाम की छुट्टी मारता रहा। मतलब तो समझ ही रहे होंगे आप दोस्तों। एक फिर बंटी ने सफेद पसीना बहाया और शांत हो गया।

अब तो जब बंटी को रेशमा के दीदार होते। तो घर जाकर पहला काम वो भाभी के नाम की छुट्टी मारना ही करता था। दोस्तों इस बात को 3 से 4 महीने हो गयो थे। लेकिन बंटी के होश जो रेशमा उड़ा ले गई थी, वो अब तक काबू में नहीं आया था। रह-रहकर उसे रेशमा की जवानी, रेशमा का बदन याद आने लगता। और फिर वही होता, जो हमेशा होता था। यानी जब-तब रेशमा के नाम की बंटी छुट्टी मारने लगता।

यहां तक कि रेशमा मौहल्ला छोड़कर जा चुकी थी। अब वो कहीं ओर रहती थी। लेकिन इसके बावजूद बंटी, रेशमा के लाजवाब हुस्न की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाया था। इस बात को धीरे-धीरे डेढ़ साल होने आया था। लेकिन बंटी के हाल बेहाल ही थे।

दोस्तों इस बीच एक बड़ी समस्या का शिकार बंटी हो गया था। उसने इतनी छुट्टी, इतनी छुट्टी बार-बार मारी थी रेशमा के नाम की, कि बंटी नाईट फॉल का शिकार हो गया था। जिसके बाद उसने घबरा कर छुट्टी मारना तो कम कर दिया था। यहां तक धीरे-धीरे बंद भी कर दिया था। लेकिन नाईट फॉल की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई थी। क्योंकि अपने मन और हाथ को तो उसने काबू में कर लिया। लेकिन दिमाग को काबू नहीं कर पा रहा था। क्योंकि सारा काम की दिमाग का था, जिसमें बुरे अश्लील विचार भरे हुए थे। रेशमा की जवानी बसी हुई थी। जैसे बंटी रात को सोता, तो सपने में रेशमा का बेलिबास हुस्न आ जाता। रेशमा का नहीं आता, तो किसी और हसीना का आ जाता। जिसके बाद बंटी सपने में ही अपनी सारी हसरते पूरी करता। जिसका नतीजा कच्छा के चिपचिपे रूप में मिलता। सारा मामला कपड़ों में ही निपट जाता। जिसके बाद बंटी को बहुत बुरा लगता। उसकी नींद खुल जाती। महीने में 15 से 20 बार तक उसके साथ ये समस्या हो जाती थी। बहोत ज्यादा परेशान हो गया था बंटी।

किसी काम में मन नहीं लगता। ना पढ़ाई में। ना यार दोस्तों में। ना किसी किसी खैल मस्ती वगैरह में। स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो गया था। शरीर भी धीरे-धीरे अंदर से खोखला होने लगा। आंखों के नीचे डार्क सर्कल बनने लगे। कॉन्फीडेन्स खोने लगा। जब बंटी के मम्मी-पापा ने बंटी का ये रव्वैया देखा तो उन्होंने पूछा भी, ‘‘क्या हुआ बंटी। काफी दिनों से देख रहे हैं कि तुम अपने आप में ही खोये-खोये से रहते हो। क्या कॉलेज या पढ़ाई वगैरह में कोई दिक्कत है। बताओ क्या समस्या है?’’

अब बंटी भला क्या कहता, ‘‘बहुत मारी थी छुट्टी, इसलिए नाईट फॉल की आफत सिर पर फूटी।’’

वो बस यही कहकर टाल देता, ‘‘जी। पढ़ाई वगैरह का बहुत टेंशन रहता है। आगे कुछ अच्छा भविष्य पाना है, तो अभी तो मेहनत करनी ही पड़ेगी ना।’’

फिर मम्मी-पापा कुछ नहीं कहते। उन्हें फक्र होता कि उनका बेटा कितना समझदार और मेहनती है। वो बस इतना ही कहते, ‘‘ज्यादा मत सोचो। सब सही होगा। तुम जरूर भविष्य में कुछ बड़ा करोगे। बस अपने खाने-पीने पर भी ध्यान दो और खुश रहा करो।’’

दोस्तों एक दिन बंटी रात को सोने के लिए बिस्तर पर गया था। तो नाईट फॉल की चिंता के कारण उसे नींद ही नहीं आ रही थी। इसलिए वो मोबाइल में यूट्यूब चलाने लगा और गाने वगैरह सुनने लगा। तभी उसने सोचा कि क्यों ना नाईट फाल के बारे में कोई वीडियो देखी जाये। हो सकता है कि कोई हल ही मिल जाये। उसने यूट्यूब पर सर्च किया नाईट फॉल क्या होता हैं। क्या कारण हैं कि उसे नाईट फॉल हो रहे हैं। बहुत सारी वीडियों की लिस्ट उसके मोबाइल के स्क्रिन पर आ गई। तभी उसकी नजर एक वीडियो पर पड़ी जिसमें नाईट फॉल को ठीक करने की आयुर्वेदिक दवा की भी जानकारी थी।

उसने ध्यान से वीडियो को देखा तो पता चला कि शुक्रकिंग नाम की कोई दवा है, जो कि आयुर्वेदिक है और नाईट फॉल की समस्या में बहुत ही असरदार है। जिन जड़ी-बूटियों की मदद से दवा बनाई गई थी। उसकी भी जानकारी वीडियो में दी गई थी। शुक्रकिंग को काहन आयुर्वेदा कंपनी बना रही थी, जोकि जानी-मानी आयुर्वेदिक कंपनी है। इंटरनेट पर सर्च मारने पर काहन आयुर्वेदा का नाम मिल जाता था।

shukra king
shukra king image for hot story

जिसे देखकर बंटी का हौसला बड़ा। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। उसे लगा क्या वाकई शुक्रकिंग को आजमाना चाहिए। क्या सच में ये दवा मेरी नाईट फॉल की समस्या को ठीक कर सकती है।

अब बंटी ने वेबसाइट शुक्रकिंग डॉट कॉम को लॉग-ऑन किया और हिंदी में सारी जानकारी हासिल की। उसने उन लोगों के रिव्यू भी पढ़े जिनकी नाईट फॉल की समस्या इस दवा की मदद से ठीक हो चुकी थी। अब तो बंटी को पूरा भरोसा हो गया। उसने अगले ही दिन वहां पर फ्री हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया और दवा ऑर्डर कर दी। सबसे अच्छा बंटी को ये लगा कि उसकी समस्या को गुप्त रखकर दवा घर पर पहुंचाई गई थी।

जब बंटी ने दवा खाना शुरू किया, तो उसे 10 से 15 दिन में ही रिजल्ट देखने को मिलने लगे। धीरे-धीरे 40 से 50 दिन के अंदर उसकी समस्या पूरी तरह ठीक हो गई। जिसे देखकर मन ही मन बंटी ने कहा, ‘‘शुक्रिया शुक्रकिंग।’’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here