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कमरे में एकदम घुप्प अंधेरा है। पति जिसका नाम है सनम और पत्नी का नाम है सोनम। दोनों पूरी तरह तन से खाली हैं और बेड पर चित्त लेटे हैं.. एक-दूसरे को केवल छूकर ही महसूस कर रहे हैं और मजे ले रहे हैं। हर रात कमरे में घुप्प अंधेरा करने के बाद ही दोनों गरम मामला आगे क्यों बढ़ाते थे, ये आपको आगे पता चल जायेगा। अभी आप मजा लीजिए कहानी का..
अब मामला आगे बढ़ना शुरू होता है..
काले घुप्प गहरे अंधेरे में, मदाहोश कर देने वाली सोनम की आवाज आती है, ‘‘सुनो मेरे सनम, जरा मेरे सख्त संतरों पर हाथ फेरो ना।’’
‘‘कहां हैं तुम्हारे संतरे।’’ सनम ने अपना हाथ अंदाजे से आगे बढ़ाया और जानबूझ कर सोनम की नीचे की गुलाबी बगिया में रख दिया..
‘‘हाय मेरे शैतान बलम।’’ सनम का हाथ पकड़ कर सोनम ने अपनी गुलाबी पखुंड़ियों से हटाया और अपने संतरों के ऊपर रखते हुए बोली, ‘‘अभी मुझे ऊपर यहां पर मजे चाहिए। नीचे के मजा तो आखिरी में लूंगी… जो तुम्हें देना ही पड़ेगा।’’
पति यानी सनम ने हौले से कहा, ‘‘बिल्कुल मेरी जान.. ऐसा मजा दूंगा कि बस उफ..उफ करोगी।’’ कहकर सनम ने अपने एक हाथ से जोर से सोनम के सख्त, गोल-मटोल मजेदार संतरों को मसल दिया..
इस पर दर्द से कराहते हुए बोली सोनम, ‘‘उई… ये क्या कर रहे हो.. जरा आराम से.. दर्द हो रहा है मुझे.. हाड-मांस की हूं, कोई रबड़ की नहीं हूं मैं। ’’
‘‘सॉरी मेरी जान, तुम्हारें मस्त संतरों को छूकर मेरा सख्त हो गया और मैं बेकाबू हो गया।’’
पति की बात सुनकर हंसकर बोली सोनम, ‘‘क्या सख्त हो गया तुम्हारा?’’
इस पर सनम भी हंसकर बोला, ‘‘अरे मेरा हाथ सख्त हो गया, जिसके कारण तुम्हें संतरों पर दर्द हुआ।’’
‘‘रहने दो.. रहने दो..।’’ मुस्करा कर बोली सोनम, ‘‘खूब जानती हूं, क्या सख्त हो गया है तुम्हारा।’’
कहकर अपने मचलते हाथों से पति के नीचे के टाईट सामान को पकड़ कर मसल दिया सोनम ने..
‘‘अरी पागल हो क्या.. तोड़ोगी की क्या इसे…मेरा वो है ये,, खेत का गन्ना नहीं है।’’
इस पर सोनम मुस्करा कर बोली, ‘‘अब पता चला, मुझे कितनी तकलीफ हुई होगी, जब तुमने मेरे संतरों को बेदर्दी से मसल दिया था’’
‘‘अच्छा बाबा माफ करो।’’ सनम ने इस बार प्यार से उसके संतरों को सहला, दबाया, यहां-वहां मसला। फिर होंठों से संतरों का मजे ले-लेकर रस चूसने लगा।
शांत अंधेरी रात में सोनम मदहोश रही थी। उसके मुंह से नशीली सीत्कार साफ गूंज रही थी, ‘‘ओह.. मेरे सनम… चूसते रहो… थोड़ा हल्का-सा काटो भी.. मुझे बड़ा मजा आ रहा है।’’
सनम, मुंह से सोनम के संतरों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे पत्नी को खुश करने के लिए हल्के-हल्के दांत भी गाढ़ता रहा।
सोनम को बहुत मजा आ रहा था। वहीं दूसरी ओर सनम का एक हाथ सोनम के चिकने बदन पर यहां-वहां थिरकने लगा।
कभी वो सोनम की पीठ को सहला देता, तो कभी उसकी मस्त गोरी, उठी हुई पिछवाड़ी को थपका देता।
कभी सोनम की गदराई जांघों पर हाथ रख देता।
जैसे ही सनम के हाथ सोनम के जांघों के बीच उसकी गहरी दुनिया में टच हुआ,
तो सनम यानी पति ने महसूस किया कि वहां की जमीन थोड़ी-थोड़ी गीली होने लगी थी.. प्यार का रस थोड़ा-थोड़ा करके रिस रहा था..
सोनम ने भी महसूस कर लिया था कि उसका पति सनम,, उसकी नीचे की गहरी दुनियां की जांच-पड़ताल कर रहा है। वो देख रहा है कि वहां की गहरी दुनियां में सैर करने का समय हो गया है या नहीं हुआ है?
इस पर सोनम ने हल्की नशीली आवाज में कहा, ‘‘सुनो.. मैं तैयार हो चुकी हूं.. तुम मेरे ऊपर आओ. मेरी गहरी दुनियां की खूब सैर करो… और मुझे भी पूरे मजे दिलाओ।’’
फिर जब सनम ने कहा कि, ‘‘मेरी जान मैं तो तुम्हारे ऊपर ही हूं।’’
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तो सोनम को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ.. ‘‘वो बोली मजाक मत करो.. मैं बहोत गरम हो चुकी हूं.. अब और बर्दाश्त नहीं होता। जल्दी से ऊपर आओ और जबरदस्त प्रोग्राम चालू करो।’’
‘‘अरे मेरी जानेबहार, कह ता रहा हूं कि मैं तुम्हारे ऊपर ही हूं।’’ सनम ने अपनी बात दोहराई।
इस पर सोनम बोली, ‘‘अच्छा! तो फिर लगता है कि तुम पूरी तरह मेरे ऊपर नहीं आये होंगे..’’ वो पति से बोली, ‘‘जरा हल्की डिम लाइट जलाओ।’’
पति उठा और डिम लाइट जलाकर वापिस आया.. और फिर से सोनम के गदराये जिस्म पर चढ़ गया..
वाकई में सोनम ने महसूस किया कि पति तो एकदम बेजान है। फिर वो अपने आपको ही कोसते हुए बोली, ‘‘मैं भी कैसी बेवकूफ हूं। आखिर कैसे भूल गई कि मेरा पति डेढ़ पसली है। ना तो शरीर में जान है और ना ही कोई जोश और ताकत है। जब चढ़ते हैं, तो लगता है कि कोई मासूम बच्चा गोद में अठखेलियां कर रहा हो।’’
दरअसल दोस्तों ये रोज का ही किस्सा था, पति के दुबले-पतले शरीर से बहुत परेशान थी सोनम।
पति की थकी, कमजोर बाहों में उसे कोई मजा नहीं आता था। पति के शरीर में इतनी भी जान नहीं थी बिस्तर पर जमकर उठा-पटक कर सके।
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इसी कारण से उनके बीच काफी समय से जिस्मों का खेल बंद था। सोनम बेडरूम में आती।
दोनों पति-पत्नी साथ में सोते और बत्ती बुझा कर घुप्प अंधेरे में सो जाते।
लेकिन जब सामने एक ही बिस्तर पर बीवी के रूप में मस्त माल लेटा हो, तो ऐसे में किसी भी पति को नींद कहां आती है।
रोज कमरे में अंधेरा होता, बीवी थोड़ी नींद की हालत में पहुंचती। तो ऐसे में पति मौका देखकर किसी तरह अपनी हॉट, सेक्सी बीवी को यहां-वहां छूकर गरम करे दता था।
हमेशा रात को सनम, सोनम को गरम तो कर देता था। लेकिन कमजोर, बेजान शरीर के कारण, सोनम को उसके साथ कोई मजा महसूस नहीं होता था।
हर बार यही होता था, सोनम गरम हो जाती और भूल जाती कि पति डेढ़ पसली है।
फिर जब पति चढ़ाई करता था, सोनम की मूड उतराई हो जाती थी। यानी उसका सारा मूड खराब हो जाता था। मूड उतर जाता था। फिर उसे ख्याल आता कि उसका पति मरियल है।
ऐसा नहीं था कि सनम, नामर्द था या उसके प्राइर्वेट पार्ट में जान नहीं थी।
लेकिन कमजोर, थके हुए, दुबले शरीर के कारण वो पूरे जोश के साथ पत्नी की ठुकाई नहीं कर पाता था।
इसके अलावा पत्नी को भी मजा नहीं आता था।
जब कभी सोनम, पति से ठुकवाई करवाती भी, तो पहले तो उसे ऐसा महसूस ही नहीं होता कि उसके जिस्म पर चढ़ाई का काम चल रहा हो।
फिर जब सोनम इसका रास्ता निकालती और सनम से कहती, ‘‘तुम नीचे आओ और मैं प्यार की कमान संभालती हूं।’’
तब ऐसे में बेचारे पति की जान निकलने लगती थी। वो अपने कमजोर शरीर के कारण पत्नी का भार बर्दाश्त नहीं कर पाता था।
इसी कारण से शीघ्रपतन भी हो जाता था उसका। इस पर सोनम, झलाते हुए कहते कि, ‘‘तुम्हारा नाम सनम सिंह नहीं, बल्कि खत्म सिंह होना चाहिए था खत्म सिंह।’’
फिर दोनों की इसी बात को लेकर बहस हो जाती थी।
लेकिन आखिरी में हार सनम यानी पति को ही माननी पड़ती थी।
क्योंकि वो भी कहीं न कहीं जानता था कि उसकी सेक्स लाइफ का जो बेड़ागर्क हुआ पड़ा था, उसके लिए उसका ही कमजोर, थका हुआ मरियल शरीर जिम्मेदार था।
ऐसा नहीं था कि सनम ने कभी अपना वजन बढ़ाने की या सेहत बनाने की कोशिश नहीं की थी।
जिसने जो उपाय, जो तरीका बताया। वो सब सनम ने किया। लेकिन ना तो बेचारे का वजन बढ़ा और ना ही सेहत बनी।
एक-दो बार तो सनम ने अपने दोस्तों की राय पर या यहां-वहां से जानकारी लेकर सेहत बनाने और वजन बढ़ाने की दवाईयां भी खाकर देखीं।
लेकिन बात फिर भी बन नहीं पाई थी। अगर किसी तरह दवाईयों से थोड़ी बहुत सेहत बन भी जाती थी, तो दवा छोड़ने के कुछ दिन बाद ही फिर वजन और सेहत ढल जाती थी। कुल मिलाकर कोई पक्का, परमानेंट समाधान सनम को नहीं मिल पा रहा था।
दरअसल दोस्तों शादी के समय सोनम ने सोचा था कि बेशक लड़का कमजोर है, मरियल है।
लेकिन जॉब अच्छी है, कमाई अच्छी है। साथ ही चेहरा भी ठीक है। बस शरीर से ही मार खाता है।
सेहत का क्या है, वो तो शादी के बाद भी बन सकती है।
जब मेरा प्यार मिलेगा, मेरे जिस्म का स्वाद मिलेगा और मैं खूब अच्छा-अच्छा खाना खिलाऊंगी, तो ये खुद-ब-खुद मोटे तगड़े हो जायेंगे।
लेकिन सोनम को क्या पता था कि उसका ये ख्याल केवल ख्याल ही बनकर ही रह जायेगा।
और ये तो बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि पति के थके, बेजान के शरीर के कारण उसकी सेक्स लाइफ भी वीरान और बेजान हो जायेगी।
खैर दिन और हर रातें ऐसे ही गुजर रही थीं। दोस्तों उन्हीं दिनों सनम का ऑफिस में एक नया दोस्त बन गया था, जिसका नाम था बबलू। उ
से ऑफिस ज्वाइन किए अभी दो ही महीने हुए थे। लेकिन इन दो महीनों में सनम और बबलू की बहुत अच्छी बनने लगी थी।
ऑफिस में लंच के टाइम दोनों लंच भी साथ में ही करते थे और आपस में खुलकर दिल की बातें भी करते थे।
दोनों ही दोस्तों में एक बड़ा ही हंसाने वाल अंतर था।
जहां सनम डेढ़ पसली था, वहीं बबलू का शरीर पहाड़ जैसा मजबूत, हट्टा-कट्टा था।
शरीर कम मांस की दुकान ज्यादा लगता था।
ऑफिस में दोनों दोस्तों की जोड़ी को देखकर कुछ स्टाफ मजाक में कहते थे, ‘‘वाह! दोनों दोस्तों की क्या जोड़ी है, एक को देखो तो लगता है कोई बारीक धागा हवा में उड़ता चला जा रहा है। और दूसरे को देखो, जैसे कोई बब्बर शैर पिंजरे से छूट गया हो।’’ और फिर सारे हंसने लगते थे।
एक दिन ऑफिस में लंच के समय सनम को उदास देखकर बबलू बोला, ‘‘यार ये ऑफिस वाले ऐसे ही मजाक करते हैं। तू बुरा क्यों मानता है?’’
‘‘नहीं यार मैं इनकी बातों का बुरा नहीं मान रहा हूं।’’ सनम ने बताया, ‘‘दरसल मेरी परेशानी कुछ और ही है।’’
‘‘तो बताना यार।’’ बबलू ने जोर से सनम की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘तेरा ये दोस्त है ना, सब ठीक कर देगा।’’
बबलू के हथौड़े जैसे हाथ की चोट अपनी कमजोर पीठ पर सनम सह नहीं सका, वो मुंह सिकोड़ कर बोला, ‘‘अबे जान लेगा क्या.. कितनी जोर से मार दिया तूने।’’
इस पर बबलू हंसकर बोला, ‘‘अबे अभी तो मैंने केवल टच किया था, मारन किसे कहते हैं दिखाऊं अभी।’’
तभी अचानक सनम उठकर बोला, ‘‘अबे नहीं.नहीं.. मर जाऊंगा साले। तू कहां और मैं कहां।’’
फिर सनम को कुछ याद आया तो उसने बबलू से पूछा, ‘‘यार मैं भी कैसा भूतिया हूं। तेरे जैसा पहलवान शरीर का मेरा दोस्त है और मैं अपने कमजोर शरीर को मोटा करने की सोच-सोच कर परेशान हो रहा हूं। यार तू इतना मस्त और तगड़ा कैसे है। यानी तूने सेहत कैसे बनाई?’’
इस पर पहले तो बबलू थोड़ा मुस्कराया और फिर अचानक एक गहरी सांस लेकर बोला, ‘‘मेरे भाई मेरा शरीर पहले एकदम डिट्टो तेरी ही तरह था। एकदम सूखा कंकाल लगता था मैं।’’
‘‘अच्छा।’’ सनम ने सुना तो उसकी एक्साइटमेन्ट बढ़ने लगी, ‘‘फिर ये चमत्कार कैसे हुआ? और तूने मुझे अब तक क्यों नहीं बताया, मैं भी अपने शरीर को तेरी तरह बना लेता।’’
‘‘यार मैंने सोचा तू बुरा मान जायेगा। तुझे लगेगा कि मैं सेहत वाला हूं, तो तुझे मुफ्त का ज्ञान बांट रहा हूं। वो तो तू अब पूछा रहा है, तो बता रहा हूं।’’
‘‘अच्छा यार कोई बात नहीं।’’ सनम की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी, ‘‘तू बता, मैं जानने के लिए मरा जा रहा हूं।’’
अब बबलू ने बताना शुरू किया, ‘‘यार तेरा भाई भी पहले तेरी ही तरह सूखा कांटा था। मेरे यार दोस्त हर वक्त मेरा मजाक उड़ाया करते थे। कोई चूसा हुआ आम कहता, तो पतला पापड़ कहकर मेरे दुबलेपन का मजाक उड़ाता था। यार दोस्तों तक तो फिर भी ठीक था। घर-परिवार और नाते रिश्तेदारी में भी मेरा मजाक बन जाया करता था। वहां भी कहते, ‘‘बेटे तू कब बड़ा होगा। इतनी उम्र हो गयी है, अभी भी गोद में खेलता हुआ कमजोर बच्चा लगता है। अले लेले मेरा बबबू बेटा, सूख गया। कोई बात नहीं खिल जायेगा एक दिन।’’ दुखी मन से बोला बबलू, ‘‘भाई मेरे मन में इतनी हीनभावना आ गई थी कि मैंने रिश्तेदारी, शादी, फंक्शन वगैरह में भी जाना छोड़ दिया था।’’
अब सनम बीच में बोल पड़ा, ‘‘यार तेरा दर्द मैं समझ रहा हूं, क्योंकि मैंने भी ये सब झेला है और आज भी झेल रहा हूं।’’ सनम की आंखो में थोड़ी नमी आ गई थी, ‘‘वो अचानक बोल पड़ा,, मेरे दुबलेन का श्राप तो मेरी शादीशुदा जिंदगी को भी तबाह कर रहा है। तेरी भाभी मुझसे खुश नहीं रहती। हर रात को बेडरूम में हमारे बीच में कलेश हो जाता है।’’
सारी बात समझ गया बबलू। वो बोला, ‘‘क्या बात कर रहा है यार!’’
सारी बात समझ गया बबलू। वो बोला, ‘‘क्या बात कर रहा है यार!’’
‘‘हां बबलू।’’ सनम ने बताया, ‘‘मेरा कमजोर शरीर होने के कारण बीवी को मैं जोर से बांहों में दबोच नहीं पाता। बीवी को वो मर्दानगी वाला एहसास ही नहीं कर पाता। जब भी उसे प्यार करता हूं। बांहों में लेता हूं, तो उसे लगता है वो किसी बच्चे को दुलार कर रही है।’’
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सनम का दर्द सुनकर बबलू बोला, ‘‘तो फिर मैं बात को खींचता नहीं हूं। तू वही कर जो मैंने किया।’’
सनम बोला, ‘‘तो फिर बताना भाई, कबसे वही तो कह रहा हूं।’’
अब बबलू ने बताया, ‘‘भाई मैंने अपने कमजोर शरीर को मजबूत बनाने के लिए काहन आयुर्वेदा का आयुर्वेदिक प्रोड्क्ट सेहत किंग (Sehat King) मंगाकर खाया था। ये आयुर्वेदिक दवा है, कैप्सूल में भी है और पाउडर में भी है। भाई मैंने तो कैप्सूल मंगाया था, बाकी तू देख लियो अपने हिसाब से तुझे पाउडर में लेना है या कैप्सूल में। दोनों ही आयुर्वेदिक हैं।’’
इस पर सनम ने पूछा, ‘‘तूने ऐसे कैसे जल्दी विश्वास करके दवा मंगा ली और खा भी ली। तुझे कोई साइड इफेक्ट वगैरह नहीं हुआ।
‘‘भाई वो कहते हैं ना मरता क्या ना करता।’’ बबलू बोला, ‘‘भाई मुझे भी जिसने बताया था सेहत किंग के बारे में वो भी सेहतमंद था, जैसे मैं तुझे बता रहा हूं। विश्वास करने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी नहीं था। लेकिन तेरी बात सही है। मुझे भी इतना विश्वास नहीं हुआ था। इसलिए पहले मैंने ट्राई करने के लिए 1 महीने की दवा मंगवाई, जो मुझे फरक दिखा, तो मेरा विश्वास बढ़ा और मैंने 2 महीने का कोर्स और मंगा लिया। धीरे-धीरे आगे भी जारी रखा और आज तेरे सामने हूं, तू खुद ही देख ले।’’
‘‘यार फिर भी इतना हट्टा-कट्टा।’’ सनम ने थोड़ा संकोच करते हुए पूछा, ‘‘ऐसे कैसे हुआ?’’
इस पर बबलू ने बताया, ‘‘भाई मेरे साथ में व्यायाम, कसरत वैगरह भी करता था। इसी का नतीजा है। दवा अपना काम कर रही थी, साथ ही मैं भी अपना काम कर रहा था।’’
‘‘भाई फिर मेरे लिए भी मंगवा ना।’’ सनम ने पूछा, ‘‘क्या नाम बताया तूने।’’
‘‘सेहत किंग।’’ तारीफ करता हुआ बोला बबलू, ‘‘जैसा नाम है, वैसा काम भी सेहत किंग। यानी सेहत का राजा बनने का जबरदस्त तरीका।’’
फिर क्या था सनम ने भी सेहत किंग मंगाया और खाना शुरू किया।
देखते ही देखते उसका भी वजन बढ़ना शुरू हो गया। भूख खुलकर लगने लगी।
जो भी खाता-पीता शरीर पर लगने लगा। चेहरे पर अलग ही चमक आ गई थी। जिसे देखकर सोनम भी बहुत खुश थी।
उसने भी महसूस किया कि उसके पति की सेहत बन रही थी। शरीर भरने लगा था।
पिचका चेहरा भी मोटा सुंदर हो रहा था। कुछ महीनों बाद तो सनम का कायापलट ही हो गया था। उसकी पर्सनेलिटी ही बदल गई थी।
अब तो वह बिस्तर पर सोनम को जब भी दबोचता, सोनम तपड़ कर बोलती, ‘‘हड्डियां चटाआगे क्या? जरा आराम से बांहों में लो। ताकि मुझे भी मजा आये।’’
इस पर सनम बोला, ‘‘जब कमजोर था, तब भी बाहों में मजा नहीं आता था और अब जब मेरी सेहत तगड़ी बन गई है अब भी तुम्हें परेशानी हो रही है।’’
सोनम, सनम के होंठों को चूमते हुए बोली, ‘‘मेरे सनम! तुम नासमझ हो। पति की इस जोरा-जोरी में ही तो एक औरत को मजा आता है। मैं तो थोड़े -बहुत नखरे करूंगी ही। तुम तो मर्द हो, तुम अपना काम जारी रखो।’’
‘‘ओए होय मेरी जान।’’ जोर से सोनम में कोमल गोल संतरों को दबाते हुए बोला सनम, ‘‘ये बात है तो आ जाओ फिर।’’
उसके बाद सनम ने, सोनम को ऐसे-ऐसे आसनों में अपनी पूरी सेहत, ताकत और जोश के साथ बजाया कि बेचारी सोनम की हालत ही पतली हो गई। जब दोनों पूरी तरह संतुष्ट हो गये, तब हांफते हुए सनम ने पूछा, ‘‘अब बताओ मेरी जानेमन। अब भी तुम्हें ऐसा ही लगा कि कोई बच्चा तुम्हारी गोद में अठखेलियां कर रहा है।’’
इस पर सोनम ने हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘अरे मेरी तौबा! इस बार तो ऐसा लगा कि जैसे किसी मासूम, कोमल हिरनी को किसी खूंखार बरसों के भूखे शेर ने दबोच लिया हो और आज खूब चीर-फाड़ करके हिरनी पर टूट पड़ा हो।’’
पत्नी की इस अदा पर मुस्करा पड़ा सनम। आज उसे पत्नी के मुंह से अपने लिए ऐसी मर्दानगी भरी तारीफ सुनकर बड़ा सुकून मिला था।
उसने मन ही मन सेहत किंग को धन्यवाद किया और एक और राउण्ड चलाने के लिए तैयार हो गया।
बेचारी सोनम की कमर में एक गूंज गूंजी, ‘‘नहीं अब और नहीं माफ करो।’’
लेकिन रूकने वाले कहां रूकते हैं। सनम ने फिर एक और बार सोनम को मसल कर रख दिया।
जिसमें सोनम तड़पी जरूर, लेकिन उसे मजा भी बहुत आया था।
अब तो हर रात गोद में उठा-उठा कर सनम, सोनम के साथ खूब धमाल चौकड़ी मचाने लगा था।