दोस्तों इस सुहागरात (suhagrat) की अन्तर्वासना (antarvansa) कहानी में पुष्पा की ठुकाई नामर्द पति से ना हो पाई। ऐसे में पुष्पा जिसे हर रात पति का ‘सख्त’ और ‘मोटा’ सामान पाने की ख्वाहिश थी, उसकी हर रात ही प्यासी गुजरने लगी थी। फिर एक दिन पुष्पा का नामर्द पति ऐसा मर्द बना कि पुष्पा की सुजाकर रख दी। जानिए कैसे..?
हैलो दोस्तों कैसे हैं आप?
सर्दी बहुत है और आपको गर्मी चाहिए।
तो सुनिए आज की इस गर्मा-गर्म (suhagrat) कहानी को।
मेरा नाम पुष्पा है और ये कहानी मेरी है।
मैं 24 साल की एक बहुत ही सेक्सी, गरम और शादीशुदा युवती हूं।
मैं बहुत ही कामुक स्वभाव की हूं।
मुझे हर रात पति का मोटा, लंबा और सख्त डंडा।
अपनी नीचे की अंधेरी दुनियां में चाहिए होता है।
मैं चाहती हूं हर रात मेरा पति मुझे अपने सख्त हल के नीचे खूब रौंदे।
मेरी सूजाकर लाल कर दे। मुझे इतना ठोके कि मैं बेहाल हो जाऊं।
मेरे गोल-गोल कबूतरों की लाल लाल चोंच को चूसे। मेरे संतरो का रस निचोड़ डाले।
मुझे इतन बजाये कि मेरा स्पीकर ही फट जाये।
और ऐसा होता भी है दोस्तों। मेरा पति बिस्तर पर मेरे साथ खूब उठा-पटकी कर लेता है।
ऐसे-ऐसे आसन बनाकर मेरी ठुकाई करता है। कभी-कभी तो मेरी चीख निकल जाती है
एक बार चढ़ाई कर ली, तो फिर घंटो तक नहीं उतरता।
मेरी हालत क्या होती है मैं ही जानती हूं। जो भी है पर मजा बहुत आता है।
मेरे नीचे के अंधेरे कुंए में पानी का सैलाब बनकर बहने लगता है। मैं गीली-गीली हो जाती हूं।
लेकिन दोस्तों हमेशा से ऐसा नहीं था। मेरा पति बहुत ही ठंडा था।
उसका डंडा भी उसी की तरह बेजान और ठंडा हुआ करता था। बिस्तर पर उसका कोई जोर नहीं चल पाता था।
मैं जितने जोश के साथ उनके नीचे रहकर साथ देती थी। मेरा पति उतना ही मेरे ऊपर ढीला पड़ा रहता था।
मुझे जोश दिलाकर गरम तो कर देता था। पर ठंडा नहीं कर पाता था।
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उसकी पिचकारी जल्दी छूट जाती थी और मैं बिस्तर पर प्यासी तड़प कर रह जाती।
मेरे पति में जोश, ताकत और स्टेमिना की कमी थी। उनको शीघ्रपतन की समस्या थी।
जिसके कारण मेरी प्यास शांत नहीं हो पा रही थी। पल-पल सख्त हथौड़े की चोट मैं अपने नीचे महसूस करना चाहती थी।
देर तक ठोकम-ठोकी का खेल पति के साथ खेलना चाहती थी। पर पति से कुछ नहीं हो पाता था।
बस आये, चढ़े, उतरे और करवट लेकर सो गये। कसम से दोस्तों मेरे आंसू निकल आते थे। मैं मन ही मन उन्हें बहुत कोसती थी।
कैसा नामर्द है, जो अपनी पत्नी की प्यास नहीं बुझा सकता। जब पिचकारी में पानी ही नहीं होता, तो होली खेलने आता ही क्यों है?
मैंने तो तलाक तक का सोच लिया था दोस्तों। क्योंकि मैं जितनी ज्यादा कामुक थी। मेरा पति उतना ही ज्यादा ढीला और नामर्द था।
दरअसल शादी से पहले ही मैं अपने प्रेमी राहुल के सख्त घोड़े से बहुत खेली थी।
उसका मोटा लंबा घोड़ा मेरे बदन को तोड़कर रख देता था। राहुल के घोड़े के नीचे मुझे बहुत मजा आता था।
वो काफी देर तक चढ़ाई करता था। उसके जोश की बात ही कुछ और थी।
इसलिए जब शादी के बाद मुझे ढीला शीघ्रपतन (shighrapatan) का शिकार पति मिला। तो मेरी रातें जैसे सूनी हो गईं।
जब भी पति की पिचकारी जल्दी छूट जाती और मैं अधूरी रह जाती। तो उसी समय मुझे राहुल के हथौड़े की याद आ जाती।
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आइए दोस्तों मैं आपको अपनी अधूरी सुहागरात का किस्सा सुनाती हूं।
मुझे आज भी याद है। वो शादी की पहली रात। मैं सुहागत सेज पर बैठी जाने क्या-क्या सपने देख रही थी।
बेशक ये अनुभव मेरे लिए नया नहीं था। मैं राहुल के साथ सुहागरात का खेल पहले भी खेल चुकी थी।
लेकिन फिर भी एक नया रोमांच मेरे मन में था।
सुहागसेज पर दुल्हन के कपड़ों में मैं पहली बार सच्ची सुहागन बनकर अपने पति से ठुकने वाली थी।
हाय! वो आयेंगे। बांहों में लेंगे। मुझे बेलिबास करके मेरी नीचे की गुलाबी चिकनी सहेली की अपने मोटे सख्त नौकर से खूब खातिरदारी करवायेंगे।
कसम से मजा ही आ जायेगा। ऐसे ही ना जाने क्या-क्या बातें मेरे जिस्म को रोमांचित कर रही थीं।
फिर अचानक मेरे पति आये और मेरा नाम लिया, ‘‘पुष्पा।’’
मैंने घूंटट के अंदर से ही कहा, ‘‘हूम…।’’
‘‘अपना चांद-सा मुखड़ा नहीं दिखाओगी क्या?’’
‘‘ये हक तो आपका है ना।’’ मैंने कहा, ‘‘खोल दो घूंघट देख लो मुखड़ा।’’
इस पर पति मजाक में बोले, ‘‘हक तो मेरा बहुत कुछ है खोलने का।’’
मैं उनकी बात समझ गई और घूंघट के अंदर ही मुस्कराने लगी।
पति ने मेरा घूंघट खोला और मुझे एकटक देखते हुए बोले, ‘‘आज तो मजा ही जायेगा।’’
मैं जानबूझ कर अंजान बनती हुई बोली, ‘‘मजा आ जायेगा समझी नहीं।’’
पति ने एकदम से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, ‘‘ऐसे मेरी जान।’’
और फिर मेरे होंठो का रस चूसने लगे। तभी मैं शरमाते हुए बोली, ‘‘आते ही शुरू हो गये। ये बताओ मेरी मुंह दिखाई कहां है।’’
इस पर पति बेशर्मों की तरह बोले, ‘‘जानेमन मुंह दिखाई के साथ-साथ पहले अपने नीचे की खास दिखाई तो हो जाने दो। उसके बाद ही देखा जायेगा।’’
सुनकर मैं मुस्कराये बगैर नहीं रह पाई।
और मैंने शरमा कर पलकें झुका लीं। मेरे पति लगता है जैसे जल्दी में थे।
तभी तो उन्होंने अपने सारे वस्त्र उतार फेंके और मात्र आखिरी एक अंग वस्स में मेरे सामने खड़े हो गये।
फिर मेरे वस्त्रों की तरफ उनके हाथ बढ़ने लगे। तो मैं बोली, ‘‘बत्ती तो बुझा दो पहले।’’
‘‘अरे मेरी जान बत्ती बुझा दी, तो तुम्हारे चिकने बदन के नजारे कहां से लूंगा मैं।’’
‘‘मगर मुझे तो शरम आ आयेगी ना।’’
इस पर मेरे पति और भी निर्लज्ज बन गये।
उन्होंने झट से अपना आखिरी अंग वस्त्र भी निकाल फेंका और मेरी ओर देखकर बोले, ‘‘ये लो, तुम भी देख लो। अब तुम्हें शरम नहीं आयेगी। हम दोनों एक जैसी हालत में होने वाले हैं।’’
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कहकर उन्होंने ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे कोमल संतरों को जोर से दबा दिया। मेरे मुंह से निकला, ‘‘उई। मेरा जिस्म है रबड़ नहीं है। दर्द होता है।’’
पति अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए बोले, ‘‘इस दर्द से ही घबरा गई। जब तुम्हारी नीचे की जंगली घाटी में मेरा सख्त जानवर हमला बोलेगा, तब क्या करोगी।’’
मैं कुछ नहीं बोली और मारे शर्म के मुंह दूसरी ओर घुमा लिया।
मेरा मुंह दूसरी ओर था और मेरे पति मेरे ब्लाउज के हुक खोलने में व्यस्त हो गये थे।
धीरे-धीरे उन्होंने मेरे बदन पर एक भी वस्त्र नहीं छोड़ा। पता नहीं मुझे क्यों पहली बार इतनी शर्म आ रही थी।
जबकि मैं पहले भी राहुल के साथ इस हालत में कई बार आ चुकी थी।
पति ने मेरे दोनों गोरे-गोरे गोल-गोल संतरों को अपने हाथों में ऐसे दबोच लिया।
जैसे बाज अपने शिकार को दबोच लेता है। जोर से मसलने के कारण मुझे तकलीफ हो रही थी।
मगर तभी मेरे पति ने मेरे संतरों को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। अब मुझे भी बड़ा मजा आ रही थी। मेरी आंखें बंद हो रही थी।
पति समझ गये कि मेरा मूड बन रहा है। मेरे मूड को और भी गर्म करने के लिए मेरे पति ने मुझे सुहागसेज पर चित्त लेटाया दिया।
फिर मेरे नीचे की गुलाबी नगरी में अपनी जीभ के करतब दिखाने लगे। उस वक्त मुझे इतना मजा आया। मैंने जोर से पतिदेव को सिर से पकड़ लिया।
और अपनी खास जगह पर सटा दिया। मेरी हालत देखकर पति हौले-हौले मुस्करा रहे थे।
वो नीचे काफी देर तक अपनी गरम सांसों से मुझे पिघलाते रहे। मेरी कोमल खेती हल्का-हल्का पानी छोड़ रही थी। वहां काफी गीलापन हो गया था।
फिर पति उठे और अपने सख्त मुन्ने को मेरे मुंह के सामने लाकर बोले, ‘‘पुष्पा डार्लिंग मेरा मुन्ना बहुत उदास है। जरा इसे अपने मुंह से पुचकार दो। खुश हो जायेगा बेचारा।’’
पति की इस बात पर मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाई। और मैंने उन्हें खुश करने के लिए उनके मुन्ने को पुचकारना शुरू कर दिया।
अभी मुझे एक मिनट क्या आधा मिनट भी नहीं हुआ था। तभी अचानक पति ने अपना मुन्ना मेरी सांसों से अलग कर दिया।
बोले, ‘‘रूको-रूको, रहने दो।’’
मैंने पूछा, ‘‘क्यों क्या हुआ, अच्छा नहीं लगा?’’
‘‘बहुत अच्छा लगा तभी रोका है।’’ पति बोले, ‘‘एक-दो बार और पुचकारती तो हो गया था काम।’’
‘‘ओह!’’ शायद मैं समझ गई थी, ‘‘पति के मुन्ने को सफेल उल्टी होने वाली थी।’’
लेकिन मैंने ध्यान दिया और पति के सीने से लग गई। इस बीच मैंने महसूस किया कि पति का मुन्ना थोड़ा ढीला हो गया था।
जो अभी थोड़ी देर पहले तक सांप की तरह फुंकार रहा था। लेकिन मैंने फिर ध्यान नहीं दिया।
पति ने अब मुझे पेट के बल लेटाया और मेरी गोरी उठी हुई सांड को सहलाने लगे। मुझे भी अच्छा लग रहा था।
फिर उन्होंने अपनी ऊँगली पीछे से मेरी अंधेरी खोली में घुसा दी।
और वहां अपनी अंगुलि से मुझे पिघलाने लगे। मैं भी मदहोश गई थी।
मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। पति काफी देर तक अंगुलि चलाते रहे। मैं ओह.. आह.. करती रही।
तभी मुझे लगा मैं भी अपने पति की तरह कहीं पहले ना निपट जाऊं।
क्योंकि मुझे तो पति के नीचे उनके धकाधक प्रोग्राम से ही ढेर होना था।
जैसे पति ने स्खलित होने से तुरन्त पहले मुझे रोक लिया था। ऐसे ही मैंने भी स्खलित होने से पहले तुरन्त पति को रोक दिया।
और उनके कान के पास धीरे से बोली, ‘‘अब करते हैं न।’’ मेरी आवाज मदहोश हो रही थी, ‘‘अब और सब्र नहीं होता।’’
इस पति ने कहा, ‘‘ठीक है मेरी जान ये लो।’’
और उन्होंने तपाक से अपना सारा सामान मेरी नीचे की गैराज में एन्टर करवा दिया।
मुझे बहुत अच्छा लगा दोस्तों। लेकिन दर्द का अनुभव नहीं हुआ।
इसलिए मैं नाटक करने लगी, ‘‘उई मां.. मर गई… कितना सख्त मोटा हल है तुम्हारा। मेरी पूरी जमीन चरामरा गई।’’
इस पर पति बोले, ‘‘पहली बार में ऐसा होता है पुष्पा। थोड़ा दर्द तो होगा ही।’’
उनके मुंह से मैंने ‘पहली बार’ वाला शब्द सुना तो मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी को रोका।
फिर दोबारा अभिनय करती हुई बोली, ‘‘मगर आराम से करना। मैं सह नहीं पा रही हूं।’’
‘‘ठीक है मेरी जान।’’ कहकर पति ने मुश्किल से 6 से 7 ही हमले किये होंगे, उनकी पिचकारी का पानी खत्म हो गया।
पुच-पुच करके मेरे सामने ही उनकी सारी पिचकारी खाली हो गई।
मैंने मन में कहा, ‘‘हाय ये क्या धोखा हुआ। साला गीली भूत पे रेत।’’
यानी क्या बताऊं दोस्तों। मेरे नीचे के गीले अरमान पर पति ने सूखी रेत डाल दी थी जैसे।
मैं इतनी ज्यादा जोश में थी। इतनी गर्म हो चुकी थी कि बार-बार पति के ढेर हो चुके मुन्ने को देखकर तड़प रही थी।
मुझे गुस्सा आ रहा था कि ऐसे कैसे हो सकता है? अभी तो उबाल आया ही था कि पति के सिलेंडर में गैस खत्म हो गई।
खैर दोस्तों मैंने सोचा कि हो सकता है। शादी की थकावट हो। वैसे भी पहली बार में कभी-कभार ऐसा हो सकता है।
जब ये किस्सा हर रात का ही हो गया, तो मेरा माथा ठनका।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि मेरे शादी एक सेक्स रोगी के साथ हो गई है। जिसे शीघ्रपतन की समस्या थी।
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लेकिन फिर भी मैंने सब्र किया और सोचा कि शायद वक्त के साथ धीरे-धीरे इनकी समस्या खुद-ब-खुद ठीक हो जायेगी।
एक साल तक मैंने सब्र किया। लेकिन जब घरवाले और रिश्तेदार मुझसे बार-बार गुड न्यूज देने वाली बात करते।
तो मेरे अंदर एक तूफान-सा मच जाता था।
इस एक साल में ठीक होना तो दूर। मेरे पति की समस्या और भी ज्यादा बढ़ गई थी।
अब तो उनकी हालत यह हो गई थी। मेरी नीचे की दुनियां में घुसते ही ढेर हो जाते थे। जोश भी पहले से बहुत कम हो गया था।
हर वक्त बिस्तर पर थके हुए ढीले-ढीले से रहने लगे थे। मैं शादीशुदा होने के बावजूद अपने आपको कुंवारी महसूस करने लगी थी।
एक दिन रात को बात इतनी बढ़ गई कि अगली सुबह ही मैं अपने मायके के लिए निकल गई।
ससुराल वाले पूछते रह गये, लेकिन मैं चुपचाप पैर पटकती हुई वहां निकल गई।
मुझे ससुराल में लभगग दो ढाई महीने हो गये थे। इस बीच बहुत बार पति का फोन आया।
उन्होंने बहुत समझाने की कोशिश की। लेकिन मैं नहीं मानी।
अब तक मेरे ससुराल में और मेरे मायके में भी सारा मामला खुल चुका था।
फिर मेरे खुद के घरवाले भी मुझे समझाने लगे और वापिस ससुराल जाने की जिद करने लगे।
इस तरह तीन महीने हो गये। एक दिन मेरे पति का फोन आया मेरे पास।
लेकिन मैंने उठाया नहीं। जब लगातार कॉल आने लगी, तो मैंने फोन उठा लिया।
मेरे पति ने पुराना राग आलापा यानी मुझे वापिस आने के लिए कहा।
जब मैंने मना कर कर दिया, तो बहुत जोर देकर प्यार से बोले, ‘‘बस एक बार एक रात के लिए ही आ जाओ। तुम्हारे लिए ऐसा सरप्राइज है कि तुम मायके का नाम ही भूल जाओगी।’’
‘‘अच्छा जी।’’ मैंने मुंह बनाते हुए कहा, ‘‘ऐसा कौन सा सरप्राइज है?’’
‘‘वो तो जब तुम आओगी खुद देख लेना।’’
पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैं राजी हो गई।
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सोचने लगी कि वैसे भी मेरे खुद के घरवाले भी जोर दे रहे हैं। पति का सरप्राइज भी देख ही लूंगी। ऐसा क्या लेकर बैठे हैं मेरे लिए।
मैं वापिस ससुराल लौट आई थी। पूरे दिन घर में किसी से कुछ खास बात नहीं हो पाई थी।
फिर रात को जब हम एक साथ कमरे में बिस्तर पर पहुंचे। तो पति ने कहा, ‘‘सरप्राइज नहीं देखना है।’’
मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा, ‘‘दिनभर से तो दिखाया नहीं, अब क्या दिखाआगे?’’
‘‘अरे ये सरप्राइज ही रात वाला है। बंद कमरे में अकेले वाला सरप्राइज।’’
‘‘क्या बातें घुमा रहे हो।’’ मैं थोड़ा झल्ला कर बोली, ‘‘दिखाना है तो दिखाओ वरना रहने दो।’’
तभी अचानक पति ने मुझे बांहों में दबोच लिया। और मेरे बदन को यहां-वहां चूमने लगे। मेरे संतरों को दबाने मसलने लगे।
मैं हैरान थी। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। सोचा ढीले बंदे में जोश कहां से आ गया।
मैं कुछ कहती कि पति ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया।
देखते ही देखने पहले मुझे और बाद में खुद भी पूरी तरह बेलिबास कर डाला।
वो दीवानों की तरह मेरे बदन को जहां-तहां चूमे चाटे जा रहे थे।
कभी मेरे गोल संतरों का दबा देते। तो भी कभी मेरी पिछली सांड को सहला देते।
कभी नीचे हाथ फेर देते तो कभी मेरे सतरों का रस चूसने लगते।
मैं पूरी तरह मूड में आ चुकी थी। इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थी कि भूल गई कि मेरा पति शीघ्रपतन का रोगी है।
मैं पति को अपने ऊपर खींचने लगी। फिर जैसे ही पति ने ऊपर आकर एन्ट्री की, तो इस बार मैं दंग रह गई।
वाकई मुझे दर्द हुआ। ऐसा लगा मानों किसी ने गर्म लोहे की सलाख घुसा दी हो।
अभी मैं संभल भी नहीं पायी थी कि पति ने ऐसी स्पीड पकड़ी कि रूके ही नहीं।
मैं बुरी तरह हांफ रही थी। पसीना-पसीना हो रही थी। कभी घोड़ी बनाकर।
कभी उलटा-पलटा कर। कभी खड़ी करके, तो कभी गोद में लेके।
हर तरह से मेरी रेल बना रहे थे। मैंने हांफते हुए कहा कि, ‘‘सांस तो लेने दो कम से कम। रूक जाओ।’’
‘‘अब ये बंदा तुम्हें तुम्हारी मंजिल पर पहुंचाये बिना नहीं रूकेगा।’’
पति ने कहा और भूखे शेर की तरह। मेरी नीचे की कोमल हिरनी का मांस नोंचने लगे।
दोस्तों अब तो मुझे भी अपना मांस नुंचवाने में बहुत मजा आ रहा था।
सच कह रही हूं। ऐसा मजा मुझे राहुल के साथ भी नहीं आया था।
मैं नीचे से उचक-उचक कर पति का साथ दे रही थी।
‘‘ओह..कहां से लाये इतना दम।’’ मैं नशीली आवाज में बोली, ‘‘तुमने तो मेरी हालत खराब कर दी।’’
‘‘क्यों मजा नहीं आ रहा?’’ पति ने अपने कमर के प्रोगाम को चालू रखते ही हुए पूछा।
मैं हौले से बोली, ‘‘बहोत।’’
आप यकीन नहीं करोगे। जहां पहले मेरा पति मुझे एक बार भी संतुष्ट नहीं कर पाता था।
आज उसने मुझे एक ही राउण्ड में दो बार संतुष्ट कर दिया था। मैं दो बार स्खलित हुई थी।
संतुष्ट होने के बाद हम दोनों पति-पत्नी एक-दूसरे से चिपके हांफ रहे थे।
फिर इसी निर्वस्त्र हालत में मैंने धीरे से पूछा, ‘‘सुनो तुमने बताया नहीं कि ये सब बदलाव कैसे हुआ? और उससे पहले ये बताओ सरप्राइज क्या है?’’
इस पति ने मेरे सिर पर प्यार से थपकी दी और बोले, ‘‘अबे पगली कहीं की तू भी न। इतना कुछ हो गया और सरप्राइज पूछ रही है।’’
‘‘ओह तो ये बात है।’’ मैं समझ गई कि पति किस सरप्राइज की बात कर रहे थे।
फिर मैं उनसे लिपट कर बोली, ‘‘वाकई ये बहुत ही हैरान कर देने वाला सरप्राइज था। मैं तो सपने भी नहीं सोच सकती थी।’
फिर मैंने पति के गालों को सहलाते हुए पूछा, ‘‘लेकिन ये असंभव, संभव कैसे हुआ। यानी तुम ठीक कैसे हुए।’’
तब मेरे पति ने बताया कि, ‘‘पुष्पा जब तुम मायके चली गई थी। मेरे दिल को बहुत ठेस लगी। मैं खुद को तुम्हारा गुनहगार महसूस कर रहा था। साथ ही शीघ्रपतन की समस्या के कारण बहुत शर्मिन्दगी भी हो रही थी। घर और बाहर लोगों से नजरें नहीं मिला पा रहा था।’’
‘‘ऑफिस में मेरे एक खास दोस्त ने मेरी आंखों में मेरे दर्द को पहचान लिया था। उसने बहुत जोर दिया, तो मैंने उसे सारी बात बता दी।’’
लेकिन वो मेरी बात सुनकर हैरान या दुखी नहीं हुआ। बल्कि बड़े जोश के साथ बोला, ‘‘बस इतनी सी बात के लिए परेशान था तू।’’ वो विश्वास के साथ बोला, ‘‘समझ अब तेरी सारी समस्या खत्म।’’
उसने आगे बताया, ‘‘उसके हम उम्र मामा को भी शीघ्रपतन की समस्या थी। सेक्स के समय जोश ही नहीं आता था। जल्दी थक जाता था। कुछ ही मिनट में स्टेमिना जवाब दे जाता था। लेकिन आज घंटों तक भी बिस्तर पर जोश खत्म नहीं होता। मामी की हर रात शामत आ जाती है।’’
मैंने जब पूछा कि, ‘‘फिर वो ठीक कैसे हुए?’’
तो दोस्त ने बताया, ‘‘मेरे मामा ने काहन आयुर्वेदा कंपनी का आयुर्वेदिक प्रोड्क्ट ‘जोशटिक’ का सेवन किया था। पुरूषों की हर प्रकार की सेक्स समस्या के लिए जोशटिक एक बहुत ही लाजवाब हर्बल मेडिसिन है।’’
मैंने जब साइड इफेक्ट के बारे में पूछा तो बोला, ‘‘भाई जरा सा भी साइड नहीं है। मेरे मामा ने तो यूज़ किया है न। मैं जानता हूं। इसमें सचमुच में एकदम शक्तिशाली प्राकृतिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं। जो साइड इफेक्ट नहीं, फायदा करती हैं।’’
दोस्त ने पूरे विश्वास से कहा, ‘‘भाई तू एक बार ट्राई जरूर कर। पक्का तुझे फायदा होगा। तू याद करेगा भाई को।’’
‘‘फिर मैंने काहन आयुर्वेदा कंपनी में फोन मिलाया और अपनी समस्या बताई। क्योंकि मेरी समस्या बड़ी थी, तो उन्होंने मुझे ‘जोशटिक’ (Joshtik) का तीन महीने का कोर्स करने की सलाह दी।’’
‘‘और वाकई तीन महीने में जोशटिक ने जो करके दिखाया है। वो तो तुमने भी अभी देख ही लिया है और मैंने भी।’’
इस पर मैं बहुत खुश हो गई और दिल से जोशटिक को धन्यवाद कहा।
फिर पति ने मेरे संतरों को दबाते हुए कहा, ‘‘क्या विचार है? हो जाये एक राउण्ड और?’’
मैंने कुछ नहीं कहा और बिस्तर पर चित्त लेट गई। आगे तो आप समझ ही गये किसलिए…
तो दोस्तों मेरी यानी पुष्पा की गर्म कहानी आपको कैसी लगी? कमेंट्स बॉक्स में जरूर बतायें।
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जीजा-साली, देवर-भाभी, पड़ोसन भाभी, मस्त आंटी, सास-दामाद कैसी? ये भी कमेंट्स बॉक्स में जरूर बतायें।
हम पूरी कोशिश करेंगे आपको आपकी पसंद की ठुकाई भरी कहानी सुनाने की। धन्यवाद।