बूढ़े पति ने सुहागरात में फाड़ दी | Hindi Adult Story | Mastram Ki Kahani

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Meri Suhagrat Ki Kahani - Mastram Ki Kahani
Meri Suhagrat Ki Kahani - Mastram Ki Kahani

श्..श..! चुपचाप मेरी सुहागरात की गर्म कहानी सुनो। आपको बहुत मजा आने वाला है। दोस्तों मैं सुरीली हूं और मैं एक बहुत ही कामुक और सैक्सी लड़की हूं। अभी मेरी उम्र बस 24 साल की ही थी। मेरा फिगर बहुत ही सैक्सी है। पतली कमर है। टाइट गोल संतरे हैं, जिनमें लबालब रस भरे हुए हैं। बदन दूध जैसा सफेद और चिकना है। मेरी पीछे से उठी हुई पिछवाड़ी इतनी मस्त है कि उसे देखकर मनचले मर्दों का नीचे डंडा फड़फड़ाने लगता है। मेरी आगे से और पीछे से बजाने के लिए मचलने लगता है।

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दोस्तों मैं एक छोटे से गाँव की कमसिन लड़की थी। मेरे माता-पिता ने गरीबी के कारण मजबूरी में मेरी शादी 24 साल की उम्र में ही एक अधेड़ आदमी के साथ कर दी थी। मेरे पति का नाम था रसिक चंद। जिसकी उम्र 55 साल थी।

वो अपने नाम की तरह सचमुच में भी हुस्न का रसिया था। उसके तीन शादीयाँ हो चुकी थीं और तीनों ही बीवियाँ उसे छोड़कर पराये मर्दों के साथ भाग गई थीं। अब क्यों भागी थीं, ये तो रसिक चंद ही जानें।

मैं तो बस इतना जानती थी कि मेरी शादी मुझसे दोगुनी उम्र से भी ज्यादा आदमी के साथ कर दी गई थी। दोस्तों अब सुनों काम की और मजे की बात। बेशक मेरा पति अधेड़ उम्र का था। पर वो बिस्तर पर मेरी उधेड़ कर रख देता था। मैं आज भी अपनी सुहागरात को याद करके कांप उठती हूं। जब बूढ़े ने भी पलंग तोड़ दिया था और मुझे अधमरा करके छोड़ दिया था।

दरअसल दोस्तों मैं शादी से पहले ये सोच रही थी कि मैं तो एक कामुक और बहुत गर्म लड़की हूं। अभी जवान हूं। बस 22 साल की हूं। ऐसे में ये मेरा होने वाला बूढ़ा पति सुहागरात में क्या कर पायेगा। क्या इसका नीचे का जानवर सख्त होकर मेरी नीचे की अंधेरी गुफा में शिकार कर पायेगा। मैं बहुत कोस रही थी अपनी किस्मत को। हाय! मेरी पूरी जवानी खराब होने वाली है। एक बूढ़े के हाथ में मेरी सुलगती जवानी सौंपी जाने वाली थी।

मगर दोस्तों पता नहीं 55-60 साल का बूढ़ा रसिक चंद क्या खाता था। उसने सुहागरात को मेरी सुजा कर रख दी थी। उसका नीचे का मोटा लंबा कड़क मुर्गा अभी क्या बाँग दे रहा था। पति के मुर्गे की सख्त चोंच ने मेरी नाजुक घोंसले की धज्जियां उड़ा कर रख दी थी। वहां पूरा लाल कर दिया था।

उस रात मैं सुहागसेज पर लंबा-सा घूँटट किए बैठी बूढ़े का इंतजार कर रही थी। सोच रही थी ये क्या खाक मजा देगा। बस थोड़ी देर बच्चे की तरह मेरे ऊपर उछल-कूद करेगा और फिर जल्दी ढेर होकर सो जायेगा। पर मुझे क्या पता था कि आज की रात मेरी शामत आने वाली है।

मेरे पति रसिक आये। उन्होंने हौले से मेरा घूंघट खोला और मेरे सुंदर चेहरे को घूरकर बोले, ‘‘हाय कसम से क्या मुखड़ा है।’’ फिर मेरे मोटे गोल संतरों की तरफ ब्लाउज पर हाथ फेरते हुए बोले, ‘‘आज तो तेरी लेकर मजा ही आ जायेगा। तेरी अनछुई जवानी को आज ऐसे रौन्दूंगा कि तू हाय तौबा करने लगेगी।’’

पति की बातें सुनकर मेरी नीचे की गुलाबी चिड़चिड़िया भी फड़फड़ाने लगी। वहां भी आग लगने लगी। फिर एकदम से याद आया कि बूढ़ा बस बातें ठोक रहा है। हकीकत में मुझे नहीं ठोक पायेगा। फिर मैंने शर्म से अपनी नजरें नीची कर लीं और खाली हां में सिर हिलाया।

जिसे पति रसिक चंद ने ताड़ लिया और बोला, ‘‘तो फिर ठीक है शुरू करूं।’’

फिर बिना मेरी हां या ना सुनें पति ने प्रोग्राम चालू कर दिया। उन्होंने एक सुंदर और मंहगा उपहार मुझे मुंह दिखाई की रस्म पर दिया और सुहागरात का मामला आगे बढ़ाने लगे। उन्होंने हौले से मेरे गुलाबी होंठों को चूमा और फिर कुछ देर तक अपने फड़फड़ाते होंठों को मेरे सुलगते होंठो पर ही टिका दिया।

Hindi Antarvasna Kahani - Mastram Ki Kahani
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वो मेरे गुलाबी होंठों को चूमते रहे। मैं भी कसमसाने लगी। फिर अचानक उन्होंने ब्लाउज के ऊपर से मेरे सख्त गोल संतरों को जोर से दबा दिया। मुझे कुछ दर्द हुआ जिसे देखकर पति मुस्कराते हुए बोले, ‘‘अभी से ये हाल है। जब मेरा मोटा लंबा सख्त तोता तुम्हारे घोंसले के अंदर प्यार के दाने चुगेगा, तब क्या करोगी?’’

पति की बातें सुनकर मुझे शर्म आ गई। फिर उनके कंधों पर अपना सिर झुका दिया। इस पति मजाक करते हुए बोले, ‘‘सिर ना झुकाओ मेरी जानेमन, क्योंकि अभी मेरे सख्त जानवर का सिर उठा हुआ है। पहले ये तुम्हें पूरी तरह झुकाकर घोड़ी बनाकर तुम्हारी बजायेगा। अगाड़ी भी और पिछाड़ी भी।’’

मैं थोड़ा घबरा कर बोली, ‘‘अगाड़ी तो ठीक है, पर पिछाड़ी नहीं।’’

इससे पहले मैं कुछ और कहती पति ने अपने पायजामें की जेल से अपने खूँखार कैदी को बाहर निकाल दिया। जिसे देखकर मेरी रूह कांप उठी। वाकई बूढ़ा झूठ नहीं बोल रहा था। इतना लंबा, मोटा और सख्त जानवर था कि मेरी फट कर हाथ में आ गई। फिर सोचा कि देखने की बात और है और करने की बात और है।

बूढ़े का सामान बस देखने में ही ऐसा है। जब कुछ करने की बारी आयेगी, तब तुरन्त ढेर हो जायेगा। जल्दी पानी निकाल देगा।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। लगता था बूढ़े को बहुत जल्दी थी मेरी लेने के लिए। उसने आव देखा ना ताव, झट से मेरी साड़ी को जांघों तक सरका दिया और तपाक से अपने लंबे मोटे कैदी पर थूक लगाकर मेरी नाजुक जेल में डाल दिया।

मैं जोर से चीखी, ‘‘ऊई माँ मर गई। निकालो कैदी को बाहर मैं इसकी मार नहीं झेल पा रही हूं। हाथ जोड़ती हूं कोई तो इस कैदी की जमानत करा कर इसे बाहर निकलवाओ।’’

दोस्तों मेरी गुलाबी नाजुक जेल की दीवारें चरमरा गई थीं पहले ही वार में। मैंने सोचा भी नहीं था कि बूढ़े का तोता इतना सख्त और जानदार होगा। फिर उसने मेरे मुंह पर अपना हाथ रख दिया, ताकि मैं चीख ना सकूं। और उसने लगातार 4 से 5 जोरदार हमले और कर दिये। मैं तड़क कर रह गई।

मैंने नीचे हाथ लगाकर महसूस किया कि वहां कुछ गीला हो गया था। देखने पर पता चला कि मेरा कुंवारापन भंग हो गया था। बूढ़े ने मुझे आज कमसिन लड़की से औरत बना दिया था। फिर मैंने रोते हुए हाथ जोड़कर कहा, ‘‘देखो इतनी बेदर्दी की तरह मत करो। करना है, तो प्यार से करो मैं मना नहीं कर रही हूं।’’

मगर बूढ़े को मेरी कमसिन उम्र और जवानी पर कोई तरस नहीं आया। उन्होंने देखते ही देखते मुझे पूरी तरह बेलिबास कर दिया और खुद भी पूरी तरह तन से खाली हो गये। फिर तो उन्होंने मेरी दोनों टांगों को कंधों पर चढ़ाया और ताबड़तोड़ घुड़सवारी करने लगे।

मैं लगातार रोये जा रही थी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैं बस-बस और नहीं रूक जाओ हाथ जोड़ती हूं किए जा रही थी और पति बिना रूके लगे हुए थे।

फिर पति कुछ देर रूके तो मैंने चैन की सांस ली। सोचा कि शायद अब पति रसिक चंद अपनी उम्र की वजह से थक गये होंगे। मगर तभी पति फिर से उठे और मुझे घोड़ी बनाकर पेलने लगे। वो पीछे से मेरी अगाड़ी का मजा ले रहे थे।

अब थोड़ा-थोड़ा मुझे भी मजा आने लगा था। क्योंकि मेरे नीचे भी थोड़ा गीलापन आ चुका था जिसकी वजह से दर्द कम हो गया था। अब मैं भी पति के साथ मजे लेने लगी। अभी मुझे मजा आ ही रहा था कि तभी मुझे लगा किसी ने मेरी पिछाड़ी में लोहे की जलती हुई सख्त सलाखें डाल दी हों।

यानी पति ने मेरी पिछाड़ी पर हमला कर दिया। जहां का दर्द मैं बिल्कुल नहीं सह पा रही थी। लेकिन उन्होंने मेरी पिछाड़ी भी सुजा डाली थी। उन्होंने ऐसा कोई आसन या मेरे कोमल शरीर की जगह नहीं छोड़ी थी। जहां उन्होंने मजे ना लिए हों।

दोस्तों क्या बताऊं बूढ़े ने 30 से 40 मिनट तक मेरी ऐसी रिमांड आगे से और पीछे से ली कि मैं चारों खाने चित्त हो गई। पर सच कहूं तो मजा भी बहुत आया। एक बूढ़े ने भी पलंग तोड़ खेल दिखाया था। जिस तरह से 55 साल के बूढ़े ने मेरी सुजाई थी जो जोश दिखाया था, वैसा तो शायद कोई 20-25 वाला मर्द भी नहीं दिखा पाता।

मैं हैरान थी दोस्तों कि आखिर ऐसी जबरदस्त टाइमिंग, जोश बूढ़ा लाया कहां से था। ऊपर से उसका नीचे का सामान भी इस उम्र में बहुत कड़क और जोशीला था। दोस्तों धीरे-धीरे मुझे बूढ़े पति के जोशीले अंदाज से प्यार हो गया। मैं उनके मोटे सख्त डंडे की दीवानी हो गई थी। वो भी मुझे बहुत प्यार करते थे। मेरी हर छोटी बड़ी जिद को पूरा किया करते थे। मुझे पूरा सम्मान भी देते थे।

Hindi Adult Story - Mastram Ki Kahani
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दरअसल दोस्तों शादी के शुरूआती 5 से 6 महीने पति रसिच चंद का व्यवहार मेरे साथ ठीक नहीं था। वो बस मेरे जिस्म से ही खेलते थे वो भी जानवरों की तरह। बडे़ ही दर्दनाक तरीके से देर तक लेते थे। मैं हैरान परेशान होती रहती थी कि आखिर क्या वजह है जो मेरे पति इतनी बेदर्दी से मेरी लेते हैं। उस पर इतनी देर तक अपने सख्त मोटे हथियार से मेरी सुजाते रहते हैं। इतना जोश और ताकत लाते कहां से हैं?

लेकिन वो कहते हैं ना दोस्तों कुछ दिन जानवर के साथ भी रहो, तो उससे भी लगाव हो जाता है। शायद ऐसा ही कुछ हम दोनों पति-पत्नी के बीच भी हुआ होगा। धीरे-धीरे मेरे पति मुझसे प्यार करने लगे। मैं भी उनका सम्मान करने लगी। मुझे पति से कोई शिकायत नहीं थी।

क्योंकि वो मेरे शरीर की और पैसों की दोनों जरूरतों को पूरा कर पा रहे थे। फिर एक दिन मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने सारा राज खोल दिया कि क्यों वो पहले मेरे साथ इतनी बेदर्दी से पेश आते थे और कैसे इतनी जवानी के साथ अब तक कर पा रहे थे।

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दरअसल दोस्तों रसिक चंद यानी मेरे पति की पहले की तीनों बीवियां भी मेरी तरह ही कामुक और गरम थीं। लेकिन रसिक चंद के अंदर कोई आग नहीं थी। ना तो जिस्म में ना तो नीचे के सामान में।

इसलिए जब रसिक की पहली शादी 28 साल की उम्र में हुई तो नामर्द पति मिलने पर पहली पत्नी उन्हें छोड़कर गैर मर्द के साथ भाग गई। ऐसे ही दूसरी और तीसरी भी भाग गई। इन सब के बीच रसिक 50 की उम्र पार कर चुके थे। संतानें किसी भी पत्नी से उन्हें नहीं हो पाई थी।

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जिसका बड़ा गहरा दुख रसिक को पहुंचा था। वो सोचने लगे कि एक जिस्म की जरूरत के लिए मेरे तीनों बीवियाँ मुझे छोड़कर पराये मर्दों की बाहों में चली गईं। उन्होंने तभी फैसला कर लिया कि वो अपनी खोयी हुई मर्दानगी को दोबारा हासिल करेंगे और इस उम्र में भी अनछुई कमसिन जवानी को ही अपनी दुल्हन बनाकर लायेंगे और तीनों बीवियों का गुस्सा उतारेंगे। दिखा दूंगा कि जवानी और पेलना किसे कहते हैं।

जिसके लिए रसिक चंद ने मोबाइल के इंटरनेट पर आयुर्वेदिक दवा की खोज करनी शुरू कर दी। जो वाकई में बेहतर काम कर सके। बढ़िया रिजल्ट दे सके। उन्हें एक जानीमानी भरोसेमंद आयुर्वेदिक दवा कम्पनी मिल गई। कम्पनी का नाम था काहन आयुर्वेदा।

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इस कम्पनी के फ्री हेल्पलाइन नम्बर पर कॉल लगाकर रसिक चंद ने मर्दानगी, जोश और जवानी बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवा ऑर्डर कर दी। जिसको उसने तीन महीने तक खाया। जिसके बाद रसिक चंद फिर से गबरू लौन्डे की तरह मर्द बन गया। रसिक ने खुद को आजमाने के लिए कॉलगर्ल यानी जिस्म का धंधा करने वाली लड़कियों के साथ संबंध बनाये। कॉलगर्ल भी उसके आगे हाथ जोड़ देती थीं। जिसके बाद रसिक ने शादी की और उसके बाद आगे की कहानी आपको मालूम ही दोस्तों।

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