चिकनी-चुपड़ी बातों में घुमाकर जब शामली ने अपनी उम्र से दोगुने मि0 बत्रा से लिया sex का प्रैक्टिकल ज्ञान… कामोत्तेजक स्टोरी
sex का ज्ञान… कामोत्तेजक स्टोरी… उस रोज शामली मि0 बत्रा का क्लास अटैण्ड करने पहुंची, तो क्लास रूम में सन्नाटा था।
हाॅल में तीन-चार लड़कियां और स्वयं मि0 बत्रा उपस्थित थे।
मि0 बत्रा ने शामली पर एक नज़र डाली और कहा, ”शामली, आज तुम ट्यूशन पढ़ने नहीं आयी थी? कम से कम फोन तो कर सकती थी..।“
”साॅरी सर!“ शामली ने कहा और अंदर आकर डेस्क पर बैठ गयी।
कुछ देर में मि0 बत्रा का लेक्चर शुरू हुआ। आज बाॅयलाॅजी की क्लास थी। छात्रों की उपस्थिति कम थी।
मि0 बत्रा के बारे में कहा जाता था,
कि वह विद्वान व ज्ञानी अध्यापक थे तथा हर विषय पर उनकी पकड़ मजबूत थी।
यह सच भी था, लेकिन जैसे हर इंसान की कोई न कोई कमजोरी होती है,
मि0 बत्रा की कमजोरी खूबसूरत लड़कियां थीं।
इस काॅलेज में मि0 बत्रा दो सालों से अध्यापक थे।
लगभग 40 वर्षीय मि0 बत्रा काफी हैंडसम व स्मार्ट दिखते थे।
उनके ज्यादातर फ्रैंड्स गर्लस थीं।
वह लड़कियों को पढ़ाई व अन्य मामलों में काफी हेल्प करते थे।
छात्रों को ट्यूशन पढ़ाते थे, लेकिन उनमें लड़कियों की संख्या अधिक थी।
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वे लड़कियों के प्रति दोस्ती का व्यवहार रखते थे
तथा उनसे बातें करते हुए किसी तरह का कोई संकोच नहीं रखते थे।
कुछ लड़कियां तो मि0 बत्रा से काफी घुल-मिल गयी थीं।
लेकिन मि0 बत्रा जिस खूबसूरत लड़की से ज्यादा प्रभावित हुए थे, वह थीµ शामली!
शामली गजब की खूबसूरत व जवानी लड़की थी।
मली की आंखें बड़ी-बड़ी थीं नैन-नक्श तीखे व चेहरा गोल अण्डाकार था।
इसमें कोई दो राय नहीं थी,
कि उस काॅलेज में पढ़ने वाली लड़कियांे में शामली सर्वाधिक खूबसूरत व मस्त बदन की लड़की थी।
यही कारण था, मि0 बत्रा शामली पर दूसरी लड़कियों से कुछ ज्यादा ही मेहरबान थे।
दरअसल, मि0 बत्रा, शामली के साथ सेक्स करके उसके बदन के महत्व को बताना चाहते थे।
कई दिनों से यौन विषय पर मि0 बत्रा का लेक्चर चल रहा था।
चूंकि सेक्स एक ऐसा सबजेक्ट है, जिस पर सवाल करते हुए कुछ लड़कियां संकोच करती हैं,
तो कुछ विषय की गहराई में जाने की कोशिश नहीं करती हैं
केवल उन्हें सैद्धांतिक ज्ञान की जरूरत होती है।
मि0 बत्रा ने महसूस किया था, कि शामली के अंदर एक आग छिपी है।
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जब तक वह आग भड़क कर बाहर नहीं आती,
तब तक शामली अपनी संकीर्ण मानसिकता के दायरे से बाहर नहीं आ सकती थी।
वह उसकी उसी झिझक को दूर करना चाहते थे।
क्लास में लेक्चर समाप्त हुआ, तो एक-एक करके लड़कियां वहां से जाने लगीं।
मि0 बत्रा ने नोट बुक के बहाने शामली को क्लास रूम में ही रोक लिया था।
बाकी लड़कियों को उन्होंने विदा कर दिया था।
लड़कियों के जाने के बाद मि0 बत्रा, शामली के नजदीक आ गए और उसकी बड़ी-बड़ी आंखों में झांकते हुए बोले
”शामली, मैं तुम्हारी झिझक दूर करना चाहता हूं। तुम्हारे उस भय या शंका को दूर करना चाहता हूं,
जहां तुम सेक्स का प्रैक्टिकल ज्ञान लेते हुए संकोच करती हो।“
मि0 बत्रा आगे बोले, ”पर तुम शायद जानती नहीं, कि सेक्स एक ऐसी आग है
जिस पर जितना ही नियंत्राण पाने की कोशिश की जाए,
यह उतना ही ज्यादा भड़क उठती है और तो और सेक्स को जबरन दबाने के दुष्परिणाम सामने आते हैं।
मिर्गी, डिप्रेशन, कुंठा, हताशा, स्वभाव मंे चिड़चिड़ापन संबंधी कई रोगों की जड़ है, सेक्स से महरूम होना।
आज तुम्हारे चेहरे पर जो शाइनिंग नहीं है, वह इसलिए है कि
तुमने कभी अपनी इच्छा पूर्ति की बात सोची ही नहीं, क्यों?“
”स…. सर।“
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”शामली मैं हमेशा तुम्हें खुश देखना चाहता हूं और तुम खुश तभी रह सकोगी
जब तुम सेक्स का भरपूर मजा ले सकोगी।
आज मैं तुम्हें सेक्स का व्यावहारिक ज्ञान देना चाहता हूं।
इसके बाद तुम्हें खुद समझ मंे आ जाएगा कि ये सेक्स लाइफ में कितना आवश्यक है।“
कहकर मि0 बत्रा, शामली को साथ लेकर काॅमन रूम के गेस्ट रूम में ले गए।
वहां उन्होंने एक बार फिर यौन विषय पर लेक्चर देना शुरू कर दिया
और शामली का ब्रेन वाॅश करने में सफल रहे।
पहली बार शामली अपनी उम्र से लगभग दुगने व्यक्ति के साथ यौन-संबंध बनाने जा रही थी
अतः वह कुछ डरी भी थी, साथ ही इस दौरान पीड़ा व बेचैनी का भी इजहार कर रही थी।
मि0 बत्रा शामली के कपड़े उतार चुके थे तथा अब वे उसके अंगों का दीदार करते हुए
सेक्स के खेल में अंगों की भूमिका व उसके महत्व पर प्रकाश डाल रहे थे।
साथ ही शामली के प्राइवेट पार्टस को सहलाते हुए उसके बदन में वासना की चिंगारी भी भड़काते जा रहे थे।
जब शामली बेचैने में करवट बदलने लगी, उसके अधरों से सीत्कार फूटने लगी
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तब मि0 बत्रा ने एक और संक्षिप्त-सा लेक्चर दिया,
”शामली, इस अवस्था में आने के बाद और जल्द ही क्लाईमैक्स पर पहुंचती है।
किसी पुरूष को स्त्राी से तब ही संभोग करना चाहिए, जब स्त्राी इस अवस्था में पहुंच जाए
यानी एक पुरूष को चाहिए कि चाहिए फोर-प्ले के द्वारा स्त्राी के अंगों मंे इतनी आग भड़का दे
कि वह यौन व्यवहार के दौरान स्खलित होने के लिए पुरूष का भरपूर सहयोग करे।“
उस समय शामली के नेत्रा स्वतः मूंदने लगे थे।
उसके अंग-अंग में मादक ज्वार उफन रहा था तथा वह जल बिन मछली की भांति तड़प रही थी,
जब सही अवस्था देखकर मि0 बत्रा ने चोट कर दिया।
शामली ने तेज सीत्कार भरते हुए मि0 बत्रा को कसकर अपनी बांहों में भींच लिय, ”ओह सर…!“
”अच्छा लग रहा है शामिली डियर।“
”हां सर… मगर तकलीफ भी हो रही है।
ऐसे लग रहा है, जैसे किसी ने मेरी ‘वस्तू’ के दो हिस्से कर दिये हों।
”हां शामिली, पहले पहल ऐसा लगता है और तकलीफ होने के साथ ही थोड़ी ब्लडिंग भी होती है।“
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शामली के बदन को भोगते हुए बोला टीचर,
”वो कहते हैं न कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है।
बस तुम यही समझ लो कि परमांनद पाने के लिए तुम्हें अपना कौमार्य खोना पड़ा
या थोड़ी तकलीफ सहनी पड़ रही है।“
”मगर सर…।“
”अब अगर-मगर का समय गया शामली।“
शामली के कोमल उभारों को सहलाते हुए बोला टीचर,
”आधा चरण हमने पूरा कर लिया है यानी मैं तुम्हारी देह में जब उतरा तो वह शुरूआती चरण था।
अब बाकी के चरण भी हम दोनों को पूरे करने हैं,
जो हम दोनों की सहभागिता से ही हो सकती है।“
”ठीक है सर।“ शामली भी मुस्करा कर बोली,
”मैं भी इस आनंद को पूरी तरह पा लेने के लिए आतुर हूं।
अब मुझे अधूरा मत छोड़ो और पूरा पै्रक्टिल ज्ञान देकर समझाओ कि सेक्स का मजा आखिर कैसा होता है?“
”गुड शामली, ये हुई न बात।“
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शामिली के अधरों को अपने अधरों के मध्य लेकर चूमते हुए बोला मि0 बत्रा,
”अब तुम शांत लेटी रहो और देखो मैं तुम्हें कैसे-कैसे संतुष्ट करके ज्ञान देता हूं।“
फिर मि0 बत्रा ने हल्की-फुल्की कोमल काया वाली शामिली को अपनी गोद में उठाया
और खड़े-खड़े ही मिलन का कार्य पूर्ण करने लगा।
शामली भी टीचर के सीने से लगी सिसकियां भर रही थी, ”उम…स..आह. वाकई सर इसमें वाकई बहुत मजा आ रहा है मुझे। क्यों न बिस्तर पर चलें।“
”चलों मेरी जान, वहां देंगे बाकी का ज्ञान।“
फिर शामिल को गोद में उठाये मि0 बत्रा बेड पर आ गया और पूरी तरह शामिली की अनछुई देह में समा गया
और अपना ‘कार्य’ भी पूर्ण कर लिया।
इसके बाद मि0 बत्रा ने शामली को चरमोत्कर्ष पर पहुंचाने के लिए अपनी सारी एनर्जी लगा दी
और शामली को क्लाईमैक्स पर पहुंचा कर ही रूके।
उस समय शामली के चेहरे पर अत्यंत प्रसन्नता व संतोष की गहरी रेखाएं भांप कर
मि0 बत्रा फूले नहीं समा रहे थे।
उन्होंने शामली को चूमते हुए कहा, ”शामली, सेक्स के इस सफर में तुम कैसा महसूस कर रही हो?“
शामली ने मुंह से कुछ कहा नहीं, लेकिन उसने अपनी हरकतों से जाहिर कर दिया
कि समचुम सेक्स उनकी जिन्दगी के लिए कितना आवश्यक है।
मि0 बत्रा का मकसद पूरा हो चुका था।
उन्होंने अपनी मक्कारी से एक और मासूम लड़की को अपनी हवस की भेंट चढ़ा दिया था।
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अब तक कई लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद कर चुके
मि0 बत्रा ने शामली की जिन्दगी तबाह करने का खेल शुरू कर दिया था।
इसी बीच काॅलेज में पढ़ने आयी शांता नामक एक छात्रा ने मि0 बत्रा के असली चरित्रा का भांडाफोड़ कर दिया
तो कई अखबारों के संवाददाता काॅलेज कैम्पस पहुंच गए।
अखबारों के माध्यम से जनता तक यह बात पहुंच गयी
कि मि0 बत्रा काॅलेज में पढ़ने वाली लड़कियों का यौन-शोषण करते हंै।
अतः लोगों ने काॅलेज परिसर में इकट्ठा होकर हंगामा करना शुरू कर दिया।
इस बीच मि0 बत्रा अपनी गिरफ्तारी के डर से आक्रोशित जनता का शिकार होने से बचने के लिए
रातों रात काॅलेज छोड़कर फरार हो गए थे।
कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है
अगर ऐसा होता है, तो यह केवल संयोग मात्र होगा।