दोस्तों ये कहानी पल्लवी और विशाल की जबरदस्त गर्म suhagrat ki kahani है। जिसमें पहली ही रात विशाल ने अपने नाम की ही तरह अपने विशाल यानी लंबे बड़े सख्त हथियार से पल्लवी की कोमल, गुलाबी अनछुई दुनियां को लाल खूनमखान कर दिया। इतनी बुरी तरह बजाया कि बेचारी पल्लवी हाय तौबा, मर गई, छोड़ दो करती रह गई, लेकिन विशाल ने कोई दया नहीं दिखाई और लगातार अपने पैने हथियार से पल्लवी की सुजाता रहा। आखिर क्यों विशाल ने पहली रात इतने जोश, ताकत और बेदर्दी से पल्लवी को ढोलकी की तरह दोनों ओर से अच्छी तरह बजा कर रख दिया.. आइए सुनिए पूरी कहानी, पूरे मजे के साथ।
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पल्लवी और विशाल की मंगनी हो चुकी थी। यानी पल्लवी, विशाल की मंगेतर थी। दोनों मंगनी गर्मी के मौसम में हुई थी और सर्दी में जनवरी के महीने में शादी तय की गई थी। मंगनी और शादी होने के बीच में लंबा अंतर था। इस दोनों खूब फोन पर एक-दूसरे से घंटो बातें करते थे। दोनों ही एक-दूसरे से खूब खुल चके थे। विशाल, तो खूब गर्म-गर्म सेक्सी बातें किया करता था पल्लवी से। पल्लवी भी चटकारे ले-लेकर सुनती और शरमाती रहती। लेकिन मजा उसे भी आता था। दोनों कभी-कभी बाहर चोरी-छिपे मिल भी लेते थे।
दोस्तों क्या बताऊं पल्लवी इतनी खूबसूरत, सेक्सी और कसे जिस्म वाली थी कि बूढ़ों के अरमान भी पायजामें के अंदर हलचल मचाने लगते थे। पल्लवी की पतली कमर, जिसमें ऊपर उसके गोल-मटोल मस्त साइज वाले संतरे टाइट टीशर्ट में इतने मस्त, सख्त और उठे हुए लगते थे कि विशाल उन्हें मौका देखते ही दबोच देता था। तब पल्लवी कसमसा कर कहती, ‘‘उफ! पागल हो क्या, रबड़ नहीं हैं ये.. मेरे कोमल शरीर का अंग है।’’
तभी बीच में ही मजाक में विशाल बोलता, ‘‘मेरी जान इन्हें ही देखकर तो मेरे नीचे का मामला तंग है।’’ इस पर पल्लवी भी मुस्करा कर पड़ती थी और कहती, ‘‘बड़े शैतान हो तुम। मैं तो ये सोचकर डर रही हूं कि अभी हमारी शादी नहीं हुई है और ऐसे में तुम मौका देखते ही मुझे यहां-वहां सहलाने मसलने लगते हो। परेशान कर देते हो। जब हमारी शादी हो जायेगी, तो सुहागरात में मेरा क्या हाल करोगे तुम। उई मां मैं तो सोचकर ही घबरा रही हूं।’’
इस पर विशाल ने प्यार से पल्लवी के गुलाबी होंठों को चूमते हुए कहा, ‘‘मेरी जान उस दिन तो मैं तुम्हारा वो हाल करूंगा कि तुम हाथ जोड़ती रह जाओगी..बस..बस रूक जाओ और नहीं.. लेकिन बंदा रूकेगा नहीं, पहले ही बता रहा हूं।’’
पल्लवी ने सुना तो मुस्करा कर बोली, ‘‘अच्छा इतना भरोसा है अपनी मर्दानगी पर।’’
‘‘और क्या‘‘ पल्लवी के सामने ही पैन्ट के ऊपर से ही अपने खड़े हो चुके अरमान को सहलाते हुए और दिखाते हुए बोला, ‘‘ये देखो, मेरा मुन्ना तो अभी से तैयार हो चुका है।’’
इस पर बुरी तरह शरमा गई पल्लवी और बोली, ‘‘पागल कहीं के.. हाथ हटाओ वहां से.. कोई देख लेगा।’’
इस पर विशाल हंसते हुए बोला, ‘‘अरे मेरी जान जब तुम पास में होकर नहीं देख रही हो, तो फिर दूर से कोई और क्या देखेगा। कहो तो दिखाऊं।’’
पल्लवी मुस्कराई और उठकर जाते हुए बोली, ‘‘तुम ही देखो इसे.. मैं तो चली।’’
‘‘अरे रूको. यार पल्लवी।’’ विशाल ने पल्लवी के गोरे खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों मे लिया और उसकी आंखों में देखकर बोला, ‘‘एक दिन तो तुम्हें देखना ही होगा, तो फिर आज क्यों नहीं।’’
इस पर पल्लवी थोड़ा शरमाई और पलकें झुकाकर जैसे विशाल को कोई इशारा देते हुए बोली, ‘‘बेवकूफ हो तुम.. हर बात की कोई टाइमिंग और जगह होती है.. जहां लड़की कोई संकोच महसूस ना करे।’’
‘‘सच मेरी जान।’’ विशाल जैसे पल्लवी का इशारा समझ गया था, ‘‘क्या तुम चाहती हो क्या मैं तुम्हारी नीचे की गुलाबी जान ले लूं।’’
‘‘मुझे नहीं पता।’’ पल्लवी ने इतना कहा और फिर जाने लगी।
तभी विशाल ने पल्लवी का हाथ पकड़कर कहा, ‘‘तो फिर कल होटल चलते हैं, वहां हम जैसे ही प्यासे जोड़े आते हैं और जीभरकर अपनी प्यास बुझाते हैं।’’
पल्लवी ने फिर कुछ नहीं कहा और मुस्कराते हुए चली गई। विशाल ने भी फिर कुछ नहीं कहा, वो समझ गया था कि पल्लवी भी उसकी तरह बेकरार है डंडे की मार खाने के लिए।
फिर अगले दिन विशाल पूरी तैयारी के साथ घर से निकला। उसने कंडोम वगैरह भी ले लिया था। पल्लवी और विशाल होटल के कमरे में पहुंच गये थे। जिसका सारा इंतजाम पहले से ही विशाल ने कर लिया था।
विशाल ने अंदर से रूम की कुंडी लगाई और पल्लवी के पास आकर बोला, ‘‘तो फिर क्या विचार है शुरू करें।’’
‘‘मुझे क्या पता.. तुमने खर्चा किया है, प्लान तुम्हारा है।’’ पल्लवी मजाक भरे शब्दों में बोली, ‘‘और पूछ तो ऐसे रहे हो जैसे बड़े शरीफ हो और होटल में लाने के बाद मुझे कुंवारी ही छोड़ दोगे।’’
पल्लवी की इस अदा पर तो मर ही मिटा विशाल, ‘‘हाय मेरी जान, क्या आफत हो तुम।’’ कहकर विशाल ने पल्लवी के टीशर्ट के अंदर उसके सख्त संतरों को हाथ डालकर मसल डाला।
पल्लवी ने कुछ नहीं कहा और अपना सर विशाल के कंधे पर रख दिया। विशाल की हिम्मत बढ़ी और उसने पल्लवी की टीशर्ट ऊपर करके उसके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। उफ सामने का नजारा देखकर विशाल के मुंह में पानी आ गया। उसका नीचे का तोता पेन्ट के अंदर उसे यहां-वहां हिल-डुलकर चोंच मारने लगा। पल्लवी के दूध से कबूतरों के लाल-लाल चोंचों को देखकर विशाल ने उन्हें मुहं से पुचकारना शुरू कर दिया। पल्लवी की आंखें बंद हो गईं। उसे भी बड़ा मजा आ रहा था। विशाल, पल्लवी के संतरों का रस बड़े प्यार से चूस रहा था और पल्लवी ने विशाली के सिर को पकड़ कर अपने संतरों पर टिका रखा था। पल्लवी बस, ‘‘ओह विशाल.. ये क्या रहे हो.. आह.. छोड़ो ना।’’
इसपर विशाल भी मदहोश होकर बोला, ‘‘क्यों तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा।’’
अब पल्लवी भी नशीली आवाज में बोली, ‘‘कोई लड़का पहली बार मेरे संतरों को मुंह में लेकर चूस रहा है.. मुझे तो एक अलग ही मजे का एहसास हो रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है। वो तो मैं बस ऐसे मस्ती के आलम में बोल रही हूं। तुम बसे लगे रहो..’’
फिर विशाल कुछ देर पल्लवी के संतरों को चूसते रहा। फिर उसने पल्लवी को बेड पर चित्त लेटा दिया और उसके टीशर्ट को पूरी तरह तन से जुदा कर दिया। अब पल्लवी ऊपर से पूरी तरह तन से खाली थी। पल्लवी के ऊपर लेटकर और अपना तोता उसके नीचे सटाकर विशाली पागलों की तरह पल्लवी सख्त संतरो का मजा ले रहा था। नीचे पल्लवी भी विशाली को चूमे जा रही थी और विशाल के सख्त हो चुके जानवरक पैन्ट के ऊपर से ही सहलाये और मसले जा रही थी। विशाल को भी ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।
विशाल समझ गया कि पल्लवी अब गर्म हो चुकी है और वो भी उसके सख्त तोते को देखना और प्यार करना चाहती है। फिर विशाल ने देखते ही देखते अपने और पल्लवी के तन को पूरी तरह खाली कर दिया। अब दोनों एक-दूसरे के सामने पूरी तरह जन्मजात अवस्था में थे। पल्लवी को शर्म के मारे कुछ नहीं सूझा तो वो बेचारी विशाल से ही पूरी तरह लिपट गई।
विशाल ने जब पल्लवी के नीचे के दीदार किये और वहां का गुलाबी, चिकना और सपाट मैदान देखा तो वो दीवाना ही हो गया। उसने फिर से पल्लवी को बेड पर पटका और इस बार उसे पेट के बल लेटने को कहा। पल्लवी चुपचाप पेट के बल लेट गई। ओय होय, पल्लवी पेट के बल लेटे हुए थी और उसका उठा हुआ पिछवाड़ा विशाल को पागल कर रहा था। विशाल की समझ में नहीं आ रहा था कहां से शुरूआत करे, क्या करे और क्या ना करे.. विशाल ने शुरूआत पल्लवी के पिछवाड़े से ही की… वो पल्लवी के ऊपर सख्ते सामान को सटाकर हीलने-डुलने लगा। पल्लवी अपने पिछवाड़े में विशाल पैने हथियार की चुभन को महसूस करके मदहोश हो रही थी। विशाल ने पल्लवी के पेट के नीचे हाथ डाला और पीछे से ही उसके संतरों को हाथों में लेकर मसलने लगा। पल्लवी भी पागल हो रही थी। विशाली, पल्लवी के पिछवाड़े पर अपना पूरा भार डाले लेटा हुआ था। पल्लवी हांफते हुए बोला, ‘‘ओह मेरे विशाल, अब मुझसे नहीं रहा जा रहा।’’
कहते हुए पल्लवी सीधे हो गई यानी पीठ के बल लेट गई। अब पल्लवी का मुंह विशाल के मुंह के सामने था। पल्लवी का नीचे की गुलाबी अनछुई दुनियों में विशाल का जानवर टच होकर फड़फड़ा रहा था। इस फड़फड़ाहट को पल्लवी साफ महसूस कर रही थी।
लेकिन दोस्तों ये क्या इससे पहले कि पल्लवी, विशाल को कहती कि उसकी नीचे की दुनियों में घुसकर हलचल मचा दो, विशाल के तोते ने प्यार की उल्टी कर दी। यानी उसका मामला निपट गया था। उसका वीर्य स्खलन हो गया था। पल्लवी बेचारी छटपटा कर रह गई। उसने खूब कोशिश की विशाल के तोते में जान भरने की, लेकिन इतनी जल्दी कहां जान आने वाली थी तोते में। विशाल ने नजरें चुराते हुए पल्लवी से कहा, ‘‘सॉरी मेरी जान.. वो पहली बार था ना.. तो मेरा तोता ताव में आकर बौखला गया और उल्टी कर दी.. अगली बार मैं तुम्हें मर्दानगी दिखा दूंगा और तुम्हें खुश भी कर दूंगा।’’
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बेचारी पल्लवी तड़प कर रह गई। क्योंकि वो इतनी गर्म हो चुकी थी, कि कैसे भी विशाल के जानवर से अपनी नीचे की मैना का शिकार कराना चाहती थी। लेकिन अब हो भी क्या सकता था। पल्लवी कुछ नहीं बोली। उसके बाद विशाल और पल्लवी होटल से बाहर आ गये और वापिस लौट गये।
इसके बाद भी विशाल, कई बार पल्लवी को होटल लेकर आया, लेकिन एक बार भी पल्लवी में समाकर उसे संतुष्ट नहीं कर पाया। हर बार उसका मामला पहले ही निपट जाता। यानी हर बार उसका शीघ्रपतन हो जाता था।
जिस पर पल्लवी भी झल्लाने लगती थी, ‘‘जब तुमसे कुछ होता ही नहीं है, तो क्यों अपना पैसा और समय खराब करते हो। डींगे तो बड़ी-बड़ी हांकते हो, शादी के बाद ऐसे लूंगा.. वैसे लूंगा, मसल के रख दूंगा.. चीख निकलवा दूंगा.. लेकिन तुम तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाते हो। यही हाल रहा तो मैं नहीं करूंगी तुमसे शादी। अरे मैं क्या कोई भी लड़की तुमसे शादी नहीं करेगी। आखिर कौन एक नामर्द आदमी के साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारेगी। अपनी सेक्स लाईफ खराब करेगी।’’
दोस्तों पल्लवी इतनी परेशान हो चुकी थी, उस दिन ना जाने क्या कुछ नहीं कह गई वो विशाल को। खुद पल्लवी ने भी नहीं सोचा। नामर्द कह दिया..
उस दिन के बाद से पल्लवी और विशाल की फोन पर बातचीत बहोत कम हो गई। बाहर मिलना भी अब नहीं होता था। शादी की तारीख यानी जनवरी का महीना आने ही वाला था। तीन महीने के करीब का टाइम रह गया था शादी को। इस बीच विशाल बहोत घबराया हुआ था। उसे बार-बार पल्लवी का ताने याद आ रहे थे। नामर्दी की गूंज उसके कानों में अभी भी ताजा थी। साथ ही कहीं न कहीं एक हल्की सी बदले की भावना भी थी, कि एक न एक दिन मैं ऐसी लूंगा कि याद करेगी। छोड़ने के लिए हाथ ना जुड़वाये थे मेरा नाम भी विशाल नहीं।
एक दिन उसने पल्लवी को फोन मिलाया और अपने दिल का दर्द बताया, ‘‘पल्लवी मुझे माफ करना। दरअसल मेरी बचपन की गलतियों के कारण मेरा जोश और पानी दोनों ही जल्दी छूट जाता है। मैंने पहले बहुत हस्तमैथुन किया हुआ है। लेकिन जबसे तुम मेरी जिदंगी में आई हो सच कह रहा हूं। मैंने ये बुरी आदत छोड़ दी है। लेकिन देर हो गई। मुझे शीघ्रपतन की समस्या हो गई है।’’
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विशाल की बात सुनकर पल्लवी भी थोड़ा नर्म पड़ गई और उसने प्यार से कहा, ‘‘विशाल हर समस्या का कोई समाधान भी होता है। हमारी शादी को अभी टाइम है। तुम चाहो तो इस बीच अपनी समस्या का समाधान ढूंढ सकते हो।’’ फिर माहौल को बदलते हुए पल्लवी ने हंसकर कहा, ‘‘वैसे भी मुझे ठंड बहोत लगती है। बर्दाश्त नहीं होती। हमारी शादी ठंड के मौसम में ही हो रही है। समझ रहे हो ना.. मुझे गर्मी चाहिए।’’
इस पर विशाल भी मुस्करा कर बोला, ‘‘ओह मेरी जान तुम ग्रेट हो। वादा करता हूं हमारी सुहागरात तुम्हें हमेशा याद रहेगी। तुम्हारी सारी गर्मी ना निकाल दी तो कहना।’’
‘‘अच्छा मेरे होने वाले पतिदेव जी। तो फिर मैं भी इंतजार करूंगी तुमसे अपनी गर्मी निकवाने के लिए।’’
इसके बाद दोनों कुछ देर बात करते रहे और फिर फोन कट कर दिया।
अब विशाल ने अपनी सेक्स समस्या का इलाज ढूंढना शुरू कर दिया। उसने पल्लवी को भी नहीं बताया कि वो इलाज ढूंढ रहा है। पल्लवी पूछती तो कह देता कि हां.. हां.. ढूंढ लिया है। सुहागरात वाले दिन ही सरप्राइज दूंगा।
एक दिन विशाल को इंटरनेट पर एक सेक्स पॉवर, जोश, टाइम और स्टेमिना बढ़ाने वाले कैप्सूल के बारे में जानकारी मिली। नाम था- JoshTik Capsule (जोशटिक कैप्सूल), जो आयुर्वेदिक कैप्सूल थे। विशाल ने ज्यादा नहीं सोचा और सीधा नंबर नोट करके मिला दिया। फिर जोशटिक की सारी जानकारी लेने के बाद। इसके फायदे जानने के बाद और अपनी पूरी तसल्ली हो जाने के बाद एक ही बार में 3 महीने का कोर्स मंगा लिया।
उसने इस बारे में पल्लवी को कुछ भी नहीं बताया। लगभग ढाई महीने की कोर्स पूरा हो चुका था। इस बीच विशाल ने अपनी मर्दानगी को टैस्ट करने की सोची। उसने दोस्तों से पूछकर एक भरोसेमंद कॉलगर्ल का नंबर लिया और होटल में उसके साथ समय बिताया। दोस्तों जब विशाल ने उस मस्त आइटम के साथ पूरा काम निपटा लिया, तो वो बोली, ‘‘मजे देने का काम तो मेरा है, क्योंकि पैसे लेती हूं। लेकिन सच कह रही हूं, आज पहली बार किसी मर्द ने मुझे मजे दिये हैं। अपनी बीवी की तो सुजाकर रख देते होंगे तुम।’’
बस दोस्तों यही तो विशाल सुनना चाहता था। उसका जोश और हौसला अब बढ़ गया था। उसने धीरे-धीरे 15 दिन का बचा हुआ कोर्स भी कर लिया था।
जनवरी का महीने आ गया था और शादी की तारीख को बस 10 दिन और रह गये थे। ये 10 दिन भी गुजर गये और आ गया वो पल, जिसका विशाल को बेसब्री से इंतजार था। इतना ही नहीं पल्लवी भी बेकरार थी, सुहागसेज पर विशाल के नीचे पिसने के लिए। पर बेचारी जानती नहीं थी, कि वो कितनी बुरी तरह पिसने वाली है।’’
फिर वही हुआ जो लगभग हर सुहागरात में होता है। विशाल ने धीरे-धीरे पल्लवी के तन से सारे वस्त्र जुदा कर दिये। यानी पल्लवी सिर से पांव तक तन से खाली थी। वो विशाल की ओर देखकर बोली, ‘‘मेरे गोल संतरों का रस नहीं चूसोगे..।’’
तभी अचानक विशाल ने जोर से पल्लवी के दोनों गोल कबूतरों की लाल चोंचों को मुंह में दबोच कर दांत से काट लिया। पल्लवी चीखी, ‘‘उई मम्मी। ये क्या कर रहे हो आराम से।’’
‘‘आराम बहोत हो गया मेरी जान। ये तो शुरूआत है, अभी तो तुम्हें और चीखना है।’’
‘‘अच्छा जी ये बात है।’’ बेखबर पल्लवी भी मुस्करा कर बोली, ‘‘तो दिखाओ अपनी मर्दानगी।’’ कहकर बिस्तर पर टांगे फैलाकर चित्त लेट गई पल्लवी।
फिर वो हुआ जिसकी उम्मीद पल्लवी ने दूर-दूर तक नहीं की थी। जैसे विशाल ने अपना पहला धावा अपने मोटे सख्त हथियार से बोला, ‘‘बेचारी पल्लवी की चीख भी हलक में ही अटक गई। वो घुटी-घुटी आवाज में बोली, ‘‘बहोत दर्द हो रहा है, उई मम्मी, निकालो मामला बाहर।’’
लेकिन विशाल टस से मस नहीं हुआ। जबकि उसने देख लिया था, पल्लवी की नीचे की दुनियां खूनमखान हो और लाल हो गई। उसने एक और पहले से भी जोरदार हमला बोल दिया। दूसरे हमले में रोने ही लगी पल्लवी। वो नीचे से विशाल को धकेलने की कोशिश करते हुए बोली, ‘‘प्लीज, विशाल हटो ना.. मुझे दर्द हो रहा है। तुम्हारा सख्त प्यार अंदर बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं।’’
इस पर विशाल मुस्करा कर बोला, ‘‘इतनी जल्दी क्या है जानेमन। पहले तु म्हारी सारी गर्मी तो निकाल दूं। उसके बाद हट जाऊंगा।’’
पल्लवी समझ गई कि उसका पति वाकई मर्द बन चुका है और वो सुहागरात के बहाने अपनी पुरानी भड़ास निकाल रहा है। इसलिए पल्लवी ने हार मान ली और विशाल के सख्त जानवर अपनी नीचे के गहरे जंगल में खुला छोड़ दिया। विशाल समझ गया कि पल्लवी ने हथियार डाल दिये हैं। अब वो जैसे चाहे मजे ले सकता है। फिर विशाल ने हर आसन में पल्लवी को खूब बजाया। कभी कहता खड़ी हो जा, कभी बैठ जा, कभी लेट जा, कभी घूम जा,, कभी झुक जा, कभी ये उठा, तो कभी वो उठा। अब तू ऊपर आ,, अब तू दोबारा नीचे आ। बेचारी पल्लवी की ऐसी रेल बना दी कि उसे वाकई में ये सुहागरात जिदंगी भर याद रहने वाली थी।
लेकिन अब धीरे-धीरे पल्लवी को भी मजा आने लगा था। वो सोचने लगी कुछ भी है, तकलीफ के साथ-साथ मजे भी पूरे दे रहा है। वाकई में ऐसा क्या खा लिया मेरे इस पति ने जो शादी के बैंड के बाद मेरी बैंड बजा रहा है। बड़ी देर हो गई थी विशाल को, लेकिन वो था कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। इस बीच पल्लवी कब का संतुष्ट हो चुकी थी। उसे चरमसुख मिल चुका था। लेकिन विशाल का जोश था कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।
पल्लवी ने भी सोचा कि कोई बात नहीं, कुछ मिनट और करेगा और फिर इसका मामला भी निपट जायेगा। लेकिन ये क्या, विशाल रूक तो था, लेकिन दोबारा शुरू होने के लिए। उसने पल्लवी को कहा पेट के बल लेट जा.. पल्लवी समझ तो गई थी, लेकिन बोली, ‘‘क्यों?’’
‘‘पता चल जायेगा अभी।’’ और फिर जैसे ही पल्लवी पेट के बल लेटी.. तो दोस्तों आप समझ ही गये होंगे। पल्लवी के साथ क्या हुआ होगा.. ये लगा लो, कि उस रात अगर विशाल कुछ देर और लगा रहता तो बेचारी पल्लवी बेहोश ही हो जाती।
जब सारा मामला निपट गया, तो विशाल की सारी भड़ास भी निकल गई और मन आज शांत था। उसे अब पछतावा हो रहा था कि पहली ही रात उसे पल्लवी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। खासकर गलत एन्ट्री वाला रास्ता नहीं अपनाना चाहिए था। इससे पहले वो पल्लवी से माफी मांगता, ‘‘पल्लवी खुद ही विशाल से लिपट गई और अपनी पुराने ताने के लिए मांफी मांगने लगी।’’
इस पर विशाल ने बस इतना कहा कि, ‘‘ये सब आज की रात के लिए ही था। मैं ऐसा व्यवहार आज के बाद नहीं करूंगा तुम्हारे साथ।’’
इस पर पल्लवी मुस्करा मजाक करते हुए बोली, ‘‘नहीं..नहीं… ये सब तो हर रात ही चाहिए मुझे। लेकिन पीछे वाली गली का गलत रास्ता नहीं लेने दूंगी।’’
पल्लवी की बात पर हंसे बिना नहीं रह सका विशाल। फिर विशाल ने जोशटिक कैप्सूल के लाजवाब कमाल के बारे में पल्लवी को सब बता दिया। पल्लवी भी सब जानने के बाद बोली, ‘‘वाह धन्यवाद जोशटिक।’’