प्यास बुझा दो सैंया | Adult Hindi Story | Mastram Ki Kahani

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Pyasi Rupa - MastRamKiKahani
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दोस्तों इस कहानी में एक प्यासी औरत है, जिसका नाम है रूपा। रूपा शादीशुदा होकर भी जिस्मानी रूप से प्यासी थी। क्योंकि रूपा का पति प्रेम उसे बिस्तर पर पूरा प्रेम नहीं दे पाता था। यानी यौन कमजोरी का मारा प्रेम, रूपा की प्यास को भड़का को देता था, लेकिन उसे बुझा नहीं पाता था। फिर आगे क्या हुआ? क्या रूपा की अधूरी प्यास शांत हो सकी? क्या रूपा का पति प्रेम, अपनी यौन समस्या से छुटकारा पा सका था? आइए जानते हैं इस मस्ती भरी हॉट स्टोरी में प्रेम की जुबानी..

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मेरा नाम प्रेम है और मैं 30 वर्ष का विवाहित पुरूष हूं। मेरी पत्नी का नाम है रूपा। मेरी पत्नी अपने नाम की ही तरह, वाकई में बहुत ही रूपवान थी। खूबसूरत, गोरी चिट्टी, और सेक्सी फिगर वाली है। मेरी पत्नी की उम्र 24 साल है। मैं और मेरी पत्नी दिल्ली में किराये के मकान में रहते हैं। मैं एक बढ़िया मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता हूं और तनख्वाह भी अच्छी पाता हूं।

दोस्तों अगर मैं अपनी सेक्स लाइफ के बारे में बात करूं तो। मैं अपनी पत्नी को घंटों बिस्तर पर छठी का दूध याद दिला देता हूं। बिस्तर मेरा जोश और ताकत देखकर पत्नी दुहाई देने लगती है। हाथ जोड़ने लगती है कि, ‘‘प्लीज! अब तो छोड़ दो।’’ मगर बाद में यह भी कहती है, ‘‘कसम से मजा आ गया। तुम जैसा सख्त मर्द पाकर तो मैं धन्य हो गई।’’

लेकिन दोस्तों सच बताऊं तो हमेशा से मैं एक जोशीला और सख्त मर्द नहीं था। मैं बात कर रहा हूं लगभग दो साल पहले की.। जब मेरी नई-नई शादी हुई थी। मुझे आज भी याद है मेरी सुहागरात थी। मैं अपनी नई-नवेली दुल्हन से भी ज्यादा घबराया हुआ था। क्योंकि मैं अपनी सेक्स समस्या से परेशान था। दरअसल जवानी की नादानी में मैंने बहुत हस्तमैथुन किया था। जिस कारण मैं सेक्स समस्या का शिकार हो गया था।

दरअसल मुझे शक तभी हो गया था। जब मैं अपनी गर्लफ्रैंड के साथ जिस्मानी मजे लिया करता था। वह हमेशा कहती कि, ‘‘प्रेम तुम्हारे साथ उतना मजा नहीं आया। इतनी जल्दी ढीले हो जाते हो, कि मैं अूधरी ही रह जाती हूं।’’

मुझे यही लगता है कि मेरी गर्लफ्रैंड में जवानी का जोश है, कामुकता ज्यादा होगी। तभी तो इतनी बार बिस्तर पर उठा-पटक करने पर भी एक बार भी इसकी प्यास नहीं बुझी।

खैर! आज गर्लफ्रैंड नहीं, मेरी नई नवेली दुल्हन मेरे सामने थी। लेकिन गर्लफ्रैंड के साथ हुए अनुभव मेरे दिमाग से नहीं जा रहे थे। किसी तरह मैंने ही शुरूआत की..

‘‘रूपा..आज हमारी सुहागरात है। ये रात पति और पत्नी के लिए बहुत ही खास होती है।’’ मैंने हौले से रूपा का घूंघट उठाया, ‘‘जानती हो ना तुम।’’

रूपा ने केवल हूम.. कहा और हौले से पलकें उठाकर मेरी ओर देखा। कसम से दुल्हन के श्रृंगार में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी रूपा। मैंने एक बार उसके पूरे बदन पर अपनी ठरकी नजरें डाली, तो मेरा तोता पैजामे के अंदर मुझे चोंच मारने लगा। इतनी सेक्सी और खूबसूरत पत्नी पाकर मुझे अपनी किस्मत पर नाज हो रहा था।

रूपा ने उठकर मेरे पैर छूने चाहे, तो मैंने इसी का फायदा उठाया और उसे बाहों में कस लिया और बोला, ‘‘तुम्हें मेरे पैरों में झुकने की जरूरत नहीं है रूपा।‘‘ कहकर मैंने और जोर से रूपा को कस लिया, ‘‘तुम्हें तो मैं बिस्तर झुकाऊंगा।’’

मेरी नई-नवेली दुल्हन मेरी बात का इशारा समझकर शरमा गई। उसने भी हौले से मुझे अपनी गोरी बांहों के घेरे में ले लिया। उसकी इस अदा पर मैं मर-मिटा। रूपा के सख्त गोल संतरे मुझे मेरी छाती में साफ महसूस हो रहे थे। रूपा के बदन की खुशबू से मेरे नीचे का जानवर पैजामें में मुझे जोर-जोर से पंजे मार रहा था।

मैंने रूपा का हाथ पकड़ा और कहा, ‘‘रूपा तुमसे कोई कुछ कहना चाहता है।’’

‘‘कौन?’’ रूपा ने कहा तो मैंने तपाक से उसका हाथ अपने पैजामें पर वहां रख दिया, जहां मेरा जानवर सख्त होकर विकराल रूप ले चुका था।

‘‘हाय कितना बड़ा सामान है।’’ रूपा के मुंह से भी अचानक निकल गया। उसे अपनी ही कही बात पर शरम आ गई और उसने दोनों हाथों से मुंह छिपा लिया। कसम से मैं रूपा की हर अदा पर सौ बार मर रहा था। वह अपना मुंह छिपाए हुए थी। और इसी बीच मैंने अपना सख्त जानवर पैजामे के बाहर निकाल लिया.. ‘‘रूपा अपनी अमानत नहीं देखना चाहोगी।’’ कहकर मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही रूपा के सख्त संतरों को हौले से दबा दिया।

इसपर जोरों से हांफते हुए रूपा ने अपने चेहरे से हाथों को हटाया और मेरे जानवर पर एक नजर डाली और फिर हाय मेरी मां। कहकर अपना मुंह ही दूसरी ओर घुमा लिया। मैने कहा, ‘‘क्यों इतना बेकार लगा तुम्हें मेरा ये सख्त दोस्त।’’

Hindi Romantic Kahani - Mastram Ki Kahani
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रूपा कुछ नहीं बोली, वो बस बुरी तरह शरमाये जा रही थी और हांफे जा रही थी। मैंने फिर से उसका हाथ पकड़ा और अपने दोस्त को उसके कोमल हाथों में सौंप दिया। अपने हाथों में किसी सख्त गरम चीज का एहसास होते ही, रूपा को समझते देर नहीं लगी कि उसके पति का सख्त सामान अब उसके हवाले हो चुका था। रूपा ने पति का सख्त सामान थाम रखा था, लेकिन वह हाथों से कुछ हरकत नहीं कर रही थी। मुंह भी उसने दूसरी ओर ही घुमा रखा था।

‘‘रूपा क्या सारी रात शरमाने में ही गुजार दोगी।’’ मैंने रूपा का चेहरा अपनी ओर घुमाते हुए कहा, ‘‘शरमाना तो मुझे चाहिए क्योंकि मैंने अपना सामान बाहर निकाला हुआ।’’ रूपा के गुलाबी होंठों को मैंने चूमा और कहा, ‘‘अब जरा तुम भी अपने सामान के दीदार करा दो।’’ कहकर मैंने रूपा के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिये और बोला, ‘‘चलो शुरूआत ऊपर के सामान से करते हैं।’’

रूपा ने मारे शरम के अपना सिर ही झुक लिया था। वह बुरी तरह कांप रही थी। धीरे-धीरे मैंने रूपा के ब्लाउज के सारे हुक खोल दिये। अंदर ब्रा में कसे हुए रूपा के सख्त दुधिया संतरे इतने खूबसूरत लग रहे थे, कि जी चाह रहा था बुरी तरह मसल डालूं। खा जाऊं सतरों को। फिर मैंने रूपा के तन से ब्लाउज को अलग कर दिया और कुछ देर ब्रा में कैद संतरों को उपर से ही दबाने और सहलाने लगा। मैंने रूपा को बेड पर लेटा दिया और फिर ब्रा को भी उसके तन से अलग कर दिया। फिर मैं उसके आजाद हो चुके संतरों को बुरी तरह मसलने लगा। कसम से बहुत ही सॉफ्ट और गोल संतरे थे।

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मैं काफी देर तक उसके संतरों का रस चूसता रहा और रूपा मेरे सिर को बालों से पकड़े हुए सहलाए जा रही थी। अपने संतरों पर झुकाये जा रही थी। अपनी खूबसूरत दुल्हन की मदहोशी देखकर मैं भी बुरी तरह मदहोश होने लगा था। फिर अचानक मैं रूपा की छाती पर बैठ गया और अपनी पिघलती हुई आइसक्रीम रूपा की सांसों के पास ले जाकर बोला, ‘‘अगर तुम्हें एतराज ना हो तो एक बार थोड़ा प्यार इसे भी कर दो। अपनी गरम महकी हुई सांसों की सौगात दे दो इसे।’’

दोस्तों मुझे लगा कि मेरी दुल्हन ना-नुकुर करेगी, नखरे करेगी.. मगर वह बोली, ‘‘आप मेरे पति हैं और मैं आपकी दुल्हन, आपका पूरा हक है मुझ पर। आज की रात मैं तुम्हें निराश नहीं करूंगी। बस आप भी मुझे निराश नहीं करना।’’

कहकर रूपा ने खुद ही मेरे सामान को पकड़ा और अपने मुंह की गरम सासों से मेरे सख्त पिघलते हुए सामान को और पिघलाने लगी। मैं तो दूसरी ही दुनियां में चला गया था… लग रहा था मैं मस्ती के बादलों में कहीं दूर उड़ता चला जा रहा हूं। लेकिन मेरी पत्नी ने कहा था कि मुझे भी निराश मत करना, जिसका मतलब मैं समझ गया था और इसलिए कहीं न कहीं मैं घबरा रहा था, कि वाकई अगर मैं अपनी पत्नी को खुश नहीं कर पाया तो…

खैर.. फिलहाल मुझ पर इन बातों का इतना असर नहीं हुआ। होता भी कैसे उस समय तो मेरी सुंदर दुल्हन मेरी आइसक्रीम को पूरी मस्ती में चाट रही थी। मेरी खुशी के लिए ही सही, मगर मेरी पत्नी ने मुझे खुश कर दिया था। फिर मैंने भी अपना फर्ज समझते हुए पत्नी को खुश करने के लिए अपना मुंह में उसकी नीचे की गुलाबी दुनियां में मारना शुरू कर दिया। मगर उसकी साड़ी आफत मचा रही थी। मैंने फौरन एक-एक करके उसकी साड़ी और पैटीकोट का अलग कर दिया। फिर से उसकी नीचे की अनछुई दुनियां पर मुंह मारने लगा..

इस पर रूपा की टांगें कांपने लगी। उसकी गोरी गदरायी जांघों पर मैंने हाथ रखा हुआ था। रूपा को भी बहुत मजा आ रहा था, लेकिन बीच-बीच में वह ऐसा करने के लिए मना भी किए जा रही थी। शायद उसे लगा होगा कि पति से ऐसा काम नहीं करवाना चाहिए। बहुत ज्यादा उसकी नीचे की नगरी गीली हो चुकी थी। मैं कपड़े से उसकी गुलाबी दुनियां को साफ करता और फिर से मुंह मारने लगता। रूपा ने बुरी तरह मेरे सिर को हाथों में दबोचा हुआ था।

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फिर अचानक मुझे अपने ऊपर खींचते हुए बोली, ‘‘सुनो..अब और सब्र नहीं होता।’’

उसका इतना ही कहना था कि मैंने फौरन अपने सभी कपड़े निकाले और एकदम निर्वस्त्र होकर खड़ा हो गया। बिस्तर मेरी दुल्हन बिना वस्त्रों के थी और सामने मैं बिल्कुल निर्वस्त्र खड़ा था। हम दोनों ही एक-दूसरे को निर्वस्त्र अंगों को ललचाई नजरों से देख रहे थे।

इसपर रूपा बोली, ‘‘आइए ना.. खड़े क्यों हैं?’’ फिर हौले से मुस्करा कर मजाक भरे लहजे में बोली, ‘‘कपड़े उतारने के बाद कहीं दोबारा से पहनने की तो नहीं सोच रहे? शायद आपका इरादा बदल गया हो?’’

अपनी सुंदर दुल्हन की बात पर मुझे भी हंसी आ गई और मैंने मामला आगे बढ़ाने का पूरा प्रोग्राम बना लिया। अपने दुल्हन की मुंह दिखाई दूध वगैरह सबकुछ ऐसे ही रह गया था। हम दोनों तो बस मस्ती की बाढ़ में बह जाना चाहते थे। मैंने पहले एक बार रूपा के होंठों को चूमा और अपने सख्त हथियार पर थूक लगाकर उसकी नीचे की दुनियां में जैसे ही पहला हमला बोला, रूपा बुरी तरह चीखी, ‘‘आई मां… मर गई..’’ वह जबड़ों को भींचकर बोली, ‘‘जरा आराम से..बहुत दर्द हो रहा है।’’

फिर जैसे ही मैंने दूसरा हमला किया, वह दोबारा छटपटाई और बोली, ‘‘तुम्हारा सख्त प्यार में अपनी अनछुई कच्ची नगरी में सहन नहीं कर पा रही हूं।’’’

मैं प्यार से उसके संतरों को सहलाते हुए और चूमते हुए बोला, ‘‘थोड़ा सब्र रख लो। पहली बार में थोड़ी-बहुत तकलीफ होती ही है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा।’’

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इसपर रूपा कुछ नहीं बोली और रोनी सी सूरत बनाकर आंखें बंद कर लिए। पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने तीसरा हमला नहीं किया और उसके संतरों को चूसने लगा और एक अंगुलि से उसकी नीचे की गुलाबी पंखुड़ियों को सहलाने लगा।

रूपा पर मस्ती छाने लगी। उसके मुंह से नशीली आवाजें आने लगी, ‘‘उफ.. ओह..स..क्या कर रहे हो..ऊपर आओ ना।’’

‘‘लेकिन तुम्हें तो दर्द हो रहा है ना?’’

‘‘दर्द होगा तो क्या तुम कुछ करोगे नहीं।’’ पता नहीं रूपा को क्या हो गया था। ऐसा लगा मुझे डांट रही है, ‘‘मर्द दर्द नहीं देगा तो और कौन देगा..तुम आओ और रूकना नहीं।’’

मैं समझ गया था लोहा गरम हो चुका है और हथौड़े से चोट करने की बारी आ गई है। बस दोस्तों इसके बाद जो मेरी सुहागरात की धज्जियां उड़ी, मैं बता नहीं सकता। मेरी बीवी बुरी तरह कामवासना में जल रही थी। मुझ पर भी वासना का भूत ऐसे सवार था कि सबकुछ जल्दी-जल्दी पा लेना चाहता था। मगर ये क्या.. मैंने मुश्किल से 5 या 6 ही हमले किये होंगे कि मेरी बंदूक की गोलियां खत्म हो गईं। प्यार की होली अधूरी रह गई, क्योंकि मेरी पिचकारी का पानी बह चुका था।

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क्या बताऊं दोस्तों। उस वक्त मुझे अपने मर्द होने पर इतनी शर्मिन्दगी हो रही थी कि जी चाह रहा था, धरती फटे और मैं उसे समा जाऊं। मेरी पत्नी ने लाख कोशिश की, हाथो सें सहलाया,, मुंह से पुचकारा,, अपने नीचे की दुनियां में सटाकर रगड़ा, मगर मजाल कि मेरे जानवर टस से मस हो जाये। वह निठल्लों की तरह पड़ा रहा। रूपा समझ गई कि आज की रात ऐसे ही चली गई। मेरी पत्नी कुछ नहीं बोली वह चुपचाप बाथरूमें फ्रेश होने के लिए चली गई और वापिस आकर इस इतना ही बोली, ‘‘चलो सो जाते हैं.. काफी रात हो गई है और थक भी गये होंगे आप।’’

मुझे सारी रात नींद नहीं आई। दोस्तों यह किस्सा हर रात का ही हो गया था। हर बार मेरी पत्नी अधूरी रह जाती थी। मेरी पत्नी को संतुष्टी भरा मजा चाहिए था। भले ही मैं उसकी हर ख्वाहिश पूरी करता था। हर जरूरत का सामान उसके बिना कहे ही लाकर उसके पैरों में रख देता था। लेकिन तन की भूख तन से ही बुझ सकती है।

वो भी स्वस्थ, कड़क और मजबूत तन से। ऊपर से मुझे शीघ्रपतन की समस्या थी। सेक्स टाइम भी बहुत कम था। मेरी हालत तो यह हो गई थी कि जब कभी मेरा मन सेक्स करने को होता, तो मैं पत्नी से अपनी इच्छा कहने से भी संकोच करन लगा था।

कहीं नामर्द कहकर मना ना कर दे। भले ही मेरी पत्नी ने मुझे नामर्द का ताना नहीं मारा था। लेकिन एक पति होने के नाते मैं उसकी आंखों में प्यास की तड़प साफ महसूस कर रहा था। रात को बिस्तर पर वह मेरी तरफ देखती, तो मैं खुद को उसका गुनहगार महसूस करने लगता था।

लेकिन सब्र की भी एक सीमा होती है। धीरे-धीरे मेरी पत्नी के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगा था। वह जरा-जरा सी बात पर भी भड़क उठती थी और लड़ने लगती थी। रात की भड़ास वह दिन में झगड़ कर निकालने लगी थी।

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दरअसल मेरी पत्नी की शादीशुदा सहेलियां जब भी उसे अपने-अपने पतियों की मर्दानगी के किस्सा सुनाती थीं जैसे कि, ‘‘मेरे पति तो मुझे रातभर सोने नहीं देते। मेरी हड्डियां चटका कर रख देते हैं। घंटां-घंटों मुझे अपने नीचे मसलते रहते हैं। हमें तो बड़ा ही मजा आता है। हमारे पति तो हम एक ही रात में दो-दो बार संतुष्ट कर देते हैं।’’

ऐसी सारी बातें सुनकर मेरी पत्नी के तन में छिपी वासना की चिंगारी गुस्सा बनकर ज्वालामुखी की तरह फट पड़ती थी। वह मुझे बताती थी कि उसकी सहेलियों के पति कितने पॉवरफुल मर्द हैं। कोई गोद में उठाकर प्यार करता है, तो कोई ऐसे-ऐसे आसानों में उठा-पटक करता है मेरी सहिलयों की प्यार की नाजुक गगरिया छलक उठती है। और एक मेरी गगरिया है, जो आज तक नहीं छलकी। बहुत हो चुका था। अब मैंने भी ठान लिया था कि अपना सेक्स टाइम बढ़ाकर रहूंगा और शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा पाकर ही रहूंगा। हमारे घर अखबार आता था, तो मैंने एक दिन अखबार में सेक्स क्लिनिक के नम्बर खंगालने शुरू कर दिये।

तभी मेरी नजर एक सेक्स क्लीनिक के विज्ञापन पर पड़ी। मैंने फौरन विज्ञापन में दिये नम्बर पर कॉल की और अपनी समस्या बता कर दवा की कीमत पूछी। इसपर उन्होंने कहा, ‘‘देखिए आपको क्लीनिक पर आकर मिलना होगा। यहां आपकी पूरी जांच के बाद ही आपको दवा का र्कोस समझाया जायेगा और किमत भी आपको तब ही बतायी जायेगी। ऐसे फोन पर बिना जांच के हम कुछ नहीं बता सकते।’’

फिर अगले दिन मैं बताये गये समय पर क्लिनिक पर पहुंच गया। वहां एक अधेड़ उम्र के सेक्सॉलॉजिस्ट बैठे हुए थे। उन्हें मैंने अपनी पूरी समस्या बताई और यह भी बताया कि मैं हस्तमैथुन भी बहुत किया करता था। उन्होंने मुझसे अच्छे से बात की, मेरा और मेरे प्राइवेट पार्ट की भी अच्छे से जांच की।

जिसके बाद उन्होंने मुझे कहा और कहा भी किया बल्कि बुरी तरह डरा दिया, ‘‘देखिए बहुत ज्यादा हस्तमैथुन के कारण आपके लिंग की नसें कमजोर हो चुकी हैं और इसलिए आपका सेक्स टाईम कम है। शीघ्रपतन भी आपको इसलिए ही हो जाता है। और आपके लिंग की जो हालत है, उसे देखकर लगता नहीं है कि आपकी समस्या ठीक हो जायेगी। आपका जीवन में कभी टाइट नहीं होगा, आप नामर्द भी हो सकते हैं। सारी उम्र आपकी पत्नी को बिना शारीरिक सुख के रहना पड़ेगा। हो सकता है कि आपकी बीवी आपके रहते हुए किसी पराये पुरूष से संबंध बना ले।’’

सारी बातें सुनकर उस समय मुझे गुस्सा तो बहुत आया। मगर मैं इतना डर गया कि मुझसे कुछ कहते नहीं बना। क्योंकि कहीं न कहीं उनकी बातों में मुझे सच्चाई नजर आ रही थी। भला एक नामर्द पुरूष के साथ कोई जवान स्त्री उम्रभर कैसे रह सकती है।’’

फिर मैंने दवा की कीमत पूछी, तो उन्होंने कहा, ‘‘यूं तो दो से तीन महीने का कोर्स होता है, लेकिन आपकी स्थिति को देखते हुए पहले आप एक महीने का कोर्स कर लीजिए। जिसकी कीमत उन्होंने 5 हजार रुपए के करीब बताई।‘‘

किमत सुनकर मैं थोड़ा चौंका। मुझे लगा शायद मंहगा इलाज बता रहे है। लेकिन पत्नी की खुशी और संतुष्टी के लिए मुझे कोई एतराज नहीं था। उस समय मेरी जेब में कुल 2 हजार रूपए ही थे। मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं, तो उन्होने कहा, बाहर सामने ही एटीएम है, वहां से निकाल लीजिए।

मैं बाहर जाकर एटीएम से पैसे निकाल लाया और 5 हजार रूपए देकर एक महीने की दवा ले आया। मैंने दवा शुरू की तो 5-7 दिन के अंदर मेरी टाइमिंग में फरक आ गया था। जहां पहले मैं दो या तीन मिनट में ही ढेर हो जाता था, अब मैं 3 से 4 मिनट तक ठहरने लगा था। मुझे लगा कि अब मेरी समस्या दूर हो गई है। पत्नी भी खुश हो गई थी कि चलो कुछ मर्दानगी तो आई।

लेकिन दोस्तों समस्या यह हो गई थी कि जबतक मैं दवा खाता, तब तो मेरी टाइमिंग सही रहती। लेकिन जिस दिन किसी कारण से मैं दवा नहीं खा पाता था, तब मेरी हालत पहले से भी खराब हो जाती थी। मैं एक से डेढ़ मिनट में ही स्खलित हो जाता था। बीवी को भी संतुष्टी नहीं मिल पा रही थी, मैंने दोबारा क्लिनक पर फोन मिलाया और समस्या बताई।

तब उन्होंने कहा कि एक महीने का कोर्स और मंगा लो। इस बार और भी बढ़िया और हैवी दवा बनाकर देंगे, जिससे 100 परसेन्ट फरक पड़ेगा। मैंने दोबारा कोर्स नहीं मंगवाया। दवा छोड़ते ही दोस्तों मेरी हालत पहले से भी बदत्तर हो गई थी। अब तो पत्नी को छूते ही मैं स्खलित हो जाता था। फोर-प्ले करते हुए ही मेरा नल पानी छोड़ देता था। पत्नी ने तो जैसे सेक्स से मुंह ही फेर लिया था। हम एक बिस्तर पर सोते जरूर थे, लेकिन अजनबियों की तरह।

मेरी बीवी मुझे अपने तन पर हाथ भी नहीं रखने देती थी। आखिर कब तक मैं शादीशुदा होकर भी ऐसे ही कुंवारों की तरह जिंदगी बिताता। आखिर में थक-हारकर मैंने फिर से मोबाइल में सेक्सोलॉजिस्टों के पते व नम्बर तलाशने शुरू कर दिये।

लेकिन दोस्तों वो कहते हैं ना जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तो ऊपर वाला एक ऐसा रास्ता खोल देता है, जिससे बंदे की सारी मुश्किलें हल हो जाती हैं। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ। एक दिन अचानक यू ट्यूब पर मैंने एक आयुर्वेदिक दवा की जानकारी वाली वीडियो देखी। जिसमें कोई एक्स्पर्ट बता रहे थे कि कैसे आप आयुर्वेद की मदद से अपनी सेक्स समस्या को दूर कर सकते हैं। जोश और सेक्स टाइम को बढ़ा सकते हैं।

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फिर आखिर में उन्होंने जोश किंग (JoshKing) दवा के बारे में बताया। जोकि पूरी तरह आयुर्वेदिक दवा है और पुरूषों की हर प्रकार की सेक्स समस्या को दूर करने में पूरी तरह सक्षम है। किसी भी तरह का कोई स्ट्रायइड या केमिकल्स इसमें नहीं मिलाया गया है।

दोस्तों उन्होंने जिस तरह से जोश किंग के बारे में दावा किया, मुझमें उम्मीद की एक किरन जागने लगी। उन्होंने बताया यह कि यह दवा एकदम शुद्ध जड़ी-बूटियों से तैयार है। पूरे दावे के साथ कहा कि आप किसी भी लेब में जाकर दवा की टेस्टिंग करवा सकते हैं। हजारों पुरूषों ने इस दवा का सेवन किया है और आज तक रिजल्ट पॉजिटीव ही आये हैं।

अब तो मेरा विश्वास और भी बढ़ गया था। मैंने बिना कोई देरी किए जोश किंग दवा का एक महीने का कोर्स मंगा लिया। दोस्तों सच बताऊं तो पहले 9-10 दिन तो मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कोई दवा खा रहा हूं या मेरी टाइमिंग में कोई फरक आया है। लेकिन 1ावें 12वें दिन से मुझे वाकई फरक दिखने लगा।

मेरी सेक्स टाइमिंग 7 से 8 मिनट तक बढ़ गई थी। जोश भी पूरा आता था। एक महीने के अंदर तो मेरी टाइमिंग 10 से 12 मिनट तक पहुंच गई थी। मुझे और मेरी पत्नी को अब एन्ज्वॉय करने में बहुत मजा आने लगा था। मैंने जोश किंग पर भरोसा दिखाकर कोई गलत नहीं किया था।

इसलिए मैंने दो महीनें का कोर्स और मंगा लिया। आप यकीन नहीं करेंगे दोस्तों। लगभग तीन महीने का कोर्स करते ही मेरी सेक्स टाइमिंग 30 से 40 मिनट तक पहुंच गई। कभी-कभी तो इससे भी ऊपर पहुंच जाती थी।

दोस्तों वो दिन है और आज का दिन है, मेरी पत्नी और मैं जोश किंग का धन्यवाद करते नहीं थकते हैं। जोश किंग ने हमारे बिखरते हुए रिश्ते को संभाल लिया था। संवार लिया था। और हां दोस्तों आज मैं एक नन्हीं-सी परी यानी बिटिया का पापा हूं।’’

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