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एक दिन तो उसने मेरे रसीले होंठों पर एक जोरदार किस्स करते हुए मेरे होंठों को जोर से काट डाला। जिसमें से खून भी निकल आया था मुझे बहुत तकलीफ हुई थी। उसे पता नहीं ये सब करने में कौन सी मर्दानगी दिखाई देती थी।
जब मैं उससे कहती कि, “मयंक तुम्हें मैं क्या रबड़ की बेजान पुतली लगती हूं? इतनी जोर से मसल देते हो कि बहुत दर्द होता है।”
फिर वो सीना चौड़ा करके और बेशर्मों की तरह
अपने नीचे के सख्त तोते को पैन्ट के ऊपर से ही सहलाता हुआ बोलता, “अभी तो मसला ही कहां है मेरी जान। जिस दिन तुम मेरे नीचे वाले सख्त मोटे डंडे की चोट अपनी नीचे की गुलाबी कुंवारी दुनियां में खाओगी, तब तुम्हें पता चलेगा कि मसलना और रगड़ना किसे कहते हैं।”
दोस्तों दरअसल बेशक हम दोनों की दोस्ती और प्यार को एक साल हो गया था। लेकिन मैंने इस बीच मयंक को कभी अपना कुंवारापन भंग करने नहीं दिया था। याने कि मैंने उसे अपना जिस्म नहीं सौंपा था। इसलिए शायद वो मुझे रिझाने के लिए ये सब हरकतें किया करता था।
मैंने उससे साफ-साफ कह देती, “देखो मयंक तुम लाख कोशिशें कर लो। लेकिन शादी से पहले तुम्हें कुछ नहीं मिलने वाला है।”
फिर वो हंसकर मजाक में कहता, “क्या दोगी तुम? ऐसा क्या है तुम्हारे पास जो मुझे नहीं मिलने वाला।”
फिर वो मेरे नीचे टच करते हुए कहता, “क्या तुम इस अनमोल चीज की तो बात नहीं कर रही हो। जिसे तुमने अभी तक ऐसे छुपाकर रखा हुआ है। जैसे किसी की नजर ही लग जायेगी।”
फिर मैं भी हंसकर कहती, “वो तो पता नहीं कि नजर लगे ना लगे पर इतना जरूर जानती हूं कि तुम्हारी नजर जरूर मेरी इस अनछुई चीज पर है।”
इस पर मयंक बोलता, “तो फिर एक बार छूने दो ना।”
मैं कहती, “हाथ भी मत लगाना इसे बहोत संभाल कर रखा है मैंने।”
इस पर फिर मयंक मजाक में कहता, “अरे मेरी डार्लिंग हाथ किसे लगाना है, यहां तो मेरा सख्त मुन्ना अपना खेल खेलेगा। तुम उस मेरे बेचारे मुन्ने को चुपचाप खेलने देना।”
मैं सारे इशारे और मयंक के कहने का मतलब समझ रही थी। फिर हम दोनों इसी तरह की बातें करते हुए अपने-अपने घर को लौट जाते थे। लेकिन मयंक को मुझसे कुछ हासिल नहीं होता था।
वो हमेशा कहता, “बस एक बार मेरे सख्त मोटे डंडे के नीचे आ जाओ। सच कह रहा हूं कि हमेशा याद करोगी कि वाकई में किसी जानदार डंडे से पिली हो। ऐसा सख्त खूंखार जानवर किसी दूसरे मर्द के पास नहीं होगा।”
मैं उसे हमेशा कहती कि, “इतना बढ़चढ़ कर मत बोला करो। किसी दिन खड़ा होना बंद हो गया तब बहोत पछताओगे।”
इस पर तो मयंक और भी ज्यादा फूलकर बोलता, “अरे मेरा नाम मयंक है। मेरे पास जो नीचे वाला सामान है ना ये भी नहीं मुरझाने वाला। एक बार शादी हो जाने दो तब तुम्हें खुद ही पता चल जायेगा।”
कुल मिलाकर मयंक को अपनी मर्दानगी और अपने सख्त हथियार पर बहुत घमंड था।
मैंने उससे पूछा भी. “मैंने तो तुम्हें कुछ नहीं सौंपा फिर तुमने अपनी मर्दानगी कहां दिखाई? तुम्हें कैसे पता कि तुम एक औरत को पूरी तरह खुश कर सकते हो?”
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इस पर मयंक निर्लज्ज की तरह अपने डंडे को दिखाकर और हिलाकर कहता, “अरे मैंने तुम्हारे नाम की बाथरूम में बहुत हाथ मशक्कत की है। ख्यालों में तुम्हारे साथ वो सब किया है जो अभी तक तुम्हारे साथ रहते हुए सामने नहीं कर पाया। मजाल है 30 से 35 मिनट से पहले मेरा पानी निकल जाये। ऐसा तना रहता है मेरा तोता कि मेरे हाथों से मस्त तरीके से बड़ी देर तक प्यार के दानें चुगता है। तब जाकर इतना खाता है कि प्यार की उल्टी करने लगता है। समझ रही हो ना मेरी जान उल्टी का मतलब?”
फिर एक दिन वो भी आया जब हम दोनों ने भाग कर घर से शादी कर ली। क्योंकि हम दोनों के घरवाले हमारी शादी के खिलाफ थे।
आज हमारी सुहागरात थी। आज मैं पति के लिए यानी मयंक के लिए बहुत खुश थी कि आज मैं उसे वो सौंपने वाली थी, जिसे हासिल करने के लिए वो ना जाने कब से तड़पा जा रहा था। मयंक भी दीवानों की तरह बेकरार था मेरी नीचे की गुलाबी कुंवारी दुनियां की सैर करने के लिए।
क्योंकि उसने आव देखा ना ताव कमरे में घुसते ही अपने सभी कपड़े उतार डाले पूरी तरह आदमजात अवस्था में आ गया और मुझे भी उसी हालत में लाने लगा। उसने अब तक मुझे पैटीकोट और ब्लाउज में ला दिया था।
तभी मैंने कहा, “इतने उतावले मत बनो तुम दरवाजे की कुंडी अंदर से लगाना भूल गये हो। वो देखो दरवाजा खुला है।”
फिर फौरन मयंक ने दरवाजे की कुंडी लगाई और आते ही मुझे भी पूरी तरह बेलिबास कर डाला। पहले तो उसने करीब एक मिनट तक मुझे सिर से लेकर पांव तक ऐसे घूरा जैसे कोई अजूबा उसके सामने हो।
वो पागलों की तरह मेरे बदन को चाटने चूमने लगा। कभी मेरे संतरों का रस चूसने लगता कभी मेरी पिछवाड़ी सहलाने लगता कभी मेरी जांघों को सहला देता तो कभी मेरे जांघों के बीच में मेरी काली घाटी में ऊंगली की करतब दिखाने लगा।
आज मेरे पति का दिन था उनका पूरा अधिकार था ये सब करने का। आज मैं उन्हें हर तरह से खुश कर देना चाहती थी इसलिए मैंने उन्हें नहीं टोका। उन्होंने जो किया मैंने करने दिया और उन्होंने जो मुझसे कहा मैंने वो भी सब किया। याने कि उन्होंने अपने तोते को मेरी साँसों के हवाले करते हुए उसे पुचकारने के लिए कहा तो वो भी मैंने किया।
फिर मेरे पति ने भी मेरे साथ वही सब किया याने कि वो भी मेरी नीचे की गुलाबी पंखुड़ियों पर अपनी जीभ से खिलवाड़ करने लगे। मैंने जोश में आकर उनका सिर अपनी वहां पर सटा दिया। बेचारे पति को दिक्कत तो हो रही थी पर उन्होंने भी मेरी खुशी के लिए सब सहा और मुझे पूरा प्यार देने लगे।
फिर जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ मेरी जवानी जोर मारने लगी।
तब मैंने पति को अपने ऊपर खींच लिया और उनके कान के पास फुसफुसाते हुए बोली, “अब और सब्र नहीं होता। प्लीज अपना नीचे का मामला मेरी नीचे की अंधेरी दुनिया में फिट कर दो। वैसे भी तुम शादी से पहले बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे। मेरा सख्त तोता मेरा ये मेरा वो। आओ और अब दिखा दो अपनी मर्दानगी।”
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फिर पति बोले, “जो हुक्म मेरी रानी।”
फिर उन्होंने एक दो या तीन ही वार किये होंगे उनके तोते ने तपाक से उल्टी कर दी। यानी उनका सामान खाली हो गया और नीचे झुक कर हांफने लगा। ये देखकर मेरे अरमान धरे के धरे रह गये। मैंने लाख कोशिश की दोबारा से पति के तोते में जान आ जाये और वो मेरी जान ले सके। याने कि मेरी तबियत खुश कर सके मुझे बुरी तरह बजा सके।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। खैर मैंने कुछ नहीं कहा और दोनों चुपचाप सो गये। पति सिर झुकाए हुए कुछ नहीं बोले थे क्योंकि बहोत शर्मिन्दगी महसूस कर रहे थे। मैंने सोचा शायद आज पहली बार पति कर रहे थे तो हड़बड़ी या बेचैनी में ऐसा हो गया होगा।
लेकिन ये क्या! ये तो हर रात की ही बात हो गई थी। पति चढ़ते बाद में उतर पहले जाते।
ऐसे ही एक महीना गुजर गया लेकिन मैं अब तक खुद को कुंवारी महसूस कर रही थी। पति जितनी बातें शादी से पहले किया करते थे, अभी तक वैसी मर्दानगी मैंने महसूस नहीं की थी। मुझे लगा जैसे मेरे साथ धोखा हुआ है। कुछ करना तो छोड़ो दोस्तों पति का खड़ा होना ही रूक गया था।
किसी तरह मैं अपनी सांसों और हाथों से पति का शरीर खड़ा कर भी देती तो अंदर जाते ही पति का शरीर फिर से ठंडा और फुस्स हो जाता। मैंने मन ही मन कहा अब तो हो गया बेड़ागर्क मेरी जवानी का। यहां तो मियां जी का तोता गर्दन उठाने को ही राजी नहीं था।
5 से 7 महीने भी ऐसे ही गुजर गये। अब तो मैं पति को खूब ताने सुनाती। यहां तक कि नामर्द कहकर भी पुकराने लगी थी। पति कुछ नहीं कह पाते क्योंकि वो जानते थे कि कमी उनमें ही थी। वैसे भी जिस तरह ही बड़ी बड़ी बातें उन्होंने अपने डंडे के बारे में की थी, ऐसा कुछ भी नहीं कर पाये थे।
फिर एक रात हम दोनों पति-पत्नी के बीच इसी बात को लेकर बात और झगड़ा इतना बढ़ गया कि हाथा-पाई तक की नौबत आ गई। पति ने एक लगाया, तो मैंने भी सामने से दो लगा दिये।
फिर मैंने उन्हें जैसे ही धमकी दी, “अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। मैं अपनी सारी जवानी एक नामर्द के साथ बर्बाद नहीं करना चाहती। तुम्हारी ये नामर्दी की समस्या चलती रही तो मैं एक दिन जरूर किए गैर मर्द के साथ भाग जाऊंगी जिसका सच में मोटा लंबा और सख्त हथियार होगा। फिर मैं जमकर उसके डंडे की मार की चोट अपने नीचे सहूंगी।”
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ये सुनकर पति के जैसे होश उड़ गये। उन्होंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप बेड पर जाकर करवट बदल कर सो गये। मैंने सोफे पर ही अपने सोने का ठिकाना बना लिया। उस दिन से मेरे और पति के बीच बात होनी लगभग बंद ही हो गई थी।
दोस्तों मैंने घर से भाग कर शादी की थी इसलिए दोबारा घर नहीं जा सकती थी। इसलिए मैं एक नामर्द के साथ रहने पर मजबूर थी। हम दोनों अब एक बेडरूम में एक ही छत के नीचे अजनबियों की तरह हो गये थे। बस काम और जरूरत भर की बात ही करते थे।
इस तरह दो से तीन महीने और बीत गये। तभी एक रात मेरे पति आये और अचानक से मुझे बाहों में दबोच कर पहले मेरे होंठों पर एक जोरदार किस्स कर दिया और फिर जोर से मेरे दोनों संतरों का दबा दिया।
मैं देखकर हैरान थी कि पति में इतने दिनों के बाद इतनी हिम्मत कहां से आई कि उन्होंने मुझे छूने की सोची। जबकि हम दोनों तो अब एक-दूसरे से बात तक नहीं करते थे। इससे पहले मैं कुछ समझ सकती या कुछ कहती पति रूके नहीं।
उन्होंने एक तरह से जबरदस्ती करते हुए मुझे और खुद को भी तन से पूरी तरह खाली कर डाला। उसके बाद तो उन्होंने ऐसे-ऐसे तरीके से और ऐसे-ऐसे आसनों में मुझे पेला कि मैं दंग रह गई। मुझे बहुत दर्द हुआ उन्होंने मेरी एक-एक हड्डी चटका कर रख दी। फिर धीरे-धीरे मुझे भी मजा आने लगा।
अब मैं ये नहीं सोच रही थी कि अचानक मेरे पति में इतनी मर्दानगी कैसे आ गई? कैसे उनका नीचे के मुरझाये तोते में इतना सख्तपन आ गया था। मैं अब बस उनके सख्त लंबे और जोरदार डंडे की मार खाने के मजे ले रही थी।
आज सच में ऐसा लग रहा था कि मैं वाकई किसी मस्त और जबरदस्त मर्द के नीचे पिस रही हूं। आज मुझे मेरी सुहागरात सफल होते हुए नजर आ रही थी और जोकि 30 से 40 मिनट तक चलने के बाद पूरी भी हो गई थी। हम दोनों ही पसीने तर-बतर थे और एक-दूसरे से लिपटे हुए बुरी तरह हांफ रहे थे।
फिर मैंने प्यार से पति को डंडे को सहलाते हुए पूछा, “आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे? कैसे तुम्हारा तोता फिर से गबरू जवान और सख्त जान होना शुरू हो गया। पहले तो ये एक दाना भी चुग पाता था। गर्दन ही नहीं उठा पाता था लेकिन आज जो इसे मेरी हालत की है कसम से मजा ही आ गया।”
फिर पति ने बताया कि, “जब हम दोनों के लास्ट झगड़े के बाद हमारी बातचीत बंद हो गई थी। और मैंने उन्हें जो गैर मर्द के डंडे के नीचे बजने की धमकी दे डाली थी उसके कारण उन्हें बहुत धक्का लगा था। इसलिए मेरे पति ने सोच लिया था कि अब वो अपने दिल को धक्का नहीं, बल्कि अपनी मर्दानगी को ठीक करके मुझे धक्कों से खुश करेंगे।”
“साथ ही उन्होंनें ये भी बताया कि शादी से पहले मैंने उन्हें कभी छूने नहीं दिया था, तो इसलिए उन्होंने बहोत ज्यादा हाथ मशक्कत की थी। जिसकी उन्हें लत लग गई थी वो एक ही दिन में 3 से 4 बार तक मेरे नाम की हाथ मशक्कन करने लगे थे। जिसके कारण ही ना जाने कब उन्हें नामर्दी की समस्या हो गई उन्हें खुद भी पता नहीं चल पाया था। शादी के बाद पहली रात को ही उन्हें ये सब मालूम पड़ा था।”
“इसलिए उन्होंने मोबाइल पर मर्दागनी वापिस लौटाने वाली दवाई ढूँढनी शुरू कर दी। जिसके बाद उन्हें ‘काहन आयुर्वेदा’ (Kaahan Ayurveda) कम्पनी के ‘साइज किंग’ (Size King) की दवा की एड (विज्ञापन) दिखाई दी। जिसके बारे में बताया गया कि ये पुरूषों के प्राइवेट पार्ट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करती है।”
“जैसे तनाव की कमी ढीलापन छोटापन पतलापन टेढ़ापन कमजोर नसें और शीघ्रपतन जैसी गुप्त समस्याओं को ठीक करने में बहुत ही कारगर औषधि थी। जिसके बाद पति ने दिये गये नंबर पर कॉल किया और पूरी तसल्ली हो जाने के बाद साइज किंग को ऑर्डर करके मंगा लिया। फिर उन्होंने इसे तीन महीने तक खाया और अपनी मर्दानगी को वापिस पा लिया।”
पति ने कहा, “जानेमन साइज किंग का तीन महीने का कोर्स था, इस बीच मैंने हाथ से भी अपनी जवानी नहीं बहाई थी क्योंकि ऐसा मुझे कहा गया था। इसलिए आज 3 महीने बाद मेरा मर्दानगी टेस्ट करने का दिन था जिसके लिए मैं सुबह से ही बहुत बेकरार था। फिर उन्होंने मुझसे पूछा बताओ क्या मैं वाकई पास हुआ?”
मैंने पति को तोते की गर्दन को सहलाते हुए। उसकी गर्दन पर एक चुम्मी देते हुए कहा, “तुम पास नहीं हुए हो, बल्कि साइज किंग पास हुआ है।“
“जिसने एक बार फिर से हम दोनों को भी पास कर दिया है। और ऐसा पास किया है कि अब हम दोनों कभी भी दूर नहीं होंगे और ना ही इस बार में भी सोचेंगे कि भी। धन्यवाद काहन आयुर्वेदा जिसने साइज किंग बनाया।”